चंद्रमा की कक्षा में घुसा अमेरिकी ओरियन कैप्सूल, जानें क्यों ये एक ऐतिहासिक पल है
नासा का ओरियल कैप्सून चंद्रमा के चारों ओर विहंगम कक्षा में पहुंचा है. यह लोगों को ले जाने के लिए बनाए गए कैप्सूल द्वारा तय की गई दूरी का नया रिकॉर्ड बनाएगा. 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है जब कोई कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचा है.
केप कैनवेरल (अमेरिका): अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ओरियन कैप्सूल ने इतिहास रच दिया है. यह यान चंद्रमा के चारों ओर हजारों मील की दूरी तक फैली एक विहंगम कक्षा में प्रवेश कर गया है. 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है जब कोई कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचा है
एक हफ्ते लगे चंद्रमा तक पहुंचने में
कैप्सूल और इसमें रखी तीन परीक्षण डमी ने प्रक्षेपण के एक सप्ताह से अधिक समय बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. यह लगभग एक सप्ताह तक इस व्यापक लेकिन स्थिर कक्षा में रहेगा.
नया रिकॉर्ड बनाएगा
यह शुक्रवार तक पृथ्वी से 2,38,000 मील (3,80,000 किमी) दूर था और इसके आगामी कुछ दिन में करीब 2,70,000 मील (4,32,000 किमी) की अधिकतम दूरी पर पहुंच जाने की उम्मीद है. यह लोगों को ले जाने के लिए बनाए गए कैप्सूल द्वारा तय की गई दूरी का नया रिकॉर्ड बनाएगा.
ओरियन के प्रबंधक जिम जेफ्रे ने कहा, ‘‘इसका मकसद आगे जाने के लिए खुद को चुनौती देना, लंबे समय तक बने रहना तथा जो हमने पहले खोजा है उसकी सीमा से आगे बढ़ना है.’’ चार अरब डॉलर की लागत वाली यह परीक्षण उड़ान काफी महत्वपूर्ण है.
दो बड़े मून मिशन
कैप्सूल ने 16 नवंबर को फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से नासा के अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट के जरिए उड़ान भरी थी. इस मिशन के सफल होने पर नासा 2024 में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के आसपास भेजने के मिशन को अंजाम देगा. इसके बाद नासा 2025 में एक यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने की कोशिश करेगा.
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