कोरोना षड्यंत्र में चीन के शामिल होने का एक और बड़ा सबूत
ये सबूत घर का भेदी है जो जिनपिंग की लंका ढा सकता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तो पहले ही माना जा रहा है कि चीन ने कोरोना महामारी जान कर फैलाई और फिर इस पर चीन की कोई सफाई काम नहीं आई.
नई दिल्ली. अब आई है नए सबूत की तस्वीर जो बताती है कि चीन वास्तव में कोरोना कॉन्सप्रेसी में शामिल था. ये नया सबूत चीन से ही आया है जहां से सारी दुनिया में कोरोना वायरस आया है. और चीन की कोरोना साजिश का ये नया साक्ष्य उस खुलासे के कारण सामने आया है जो यहां के डॉक्टर द्वारा किया गया है.
चीनी डॉक्टर ने किया है दावा
कोरोना पर दुनिया का मुजरिम है चीन -इस तथ्य को एक और वास्तविकता ने मजबूत किया है और यह वास्तविकता खुद चीन के बंद पर्दों से निकल कर बाहर आई है. चीन के ही एक डॉक्टर ने ये दावा किया है. इस चीनी डॉक्टर के इस अहम दावे के अनुसार जिनपिंग सरकार ने जान कर छुपाई थी कोरोना की जानकारी. इतना ही नहीं डॉक्टर के अनुसार सरकार ने सबूत भी मिटाए थे.
जिनपिंग सरकार पर बड़ा आरोप
चीन के इस डॉक्टर का नाम है क्वाक युंग युन. डॉक्टर युन द्वारा चीन के तानाशाह शी जिनपिंग ऊपरये बड़ा आरोप है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत गंभीर है और अमेरिका के उस आरोप की पुष्टि करता है जिसमें कहा गया है कि चीन ने जान कर दुनिया में कोरोना वायरस फैलाया है. डॉक्टर ने साफ़ साफ़ कहा है कि कि जिनपिंग सरकार ने न सिर्फ काफी वक़्त तक इस संक्रमण के फैलने की बात छुपाई बल्कि सबूत भी मिटा दिए.
वुहान में जांच में मदद की थी
प्रोफेसर क्वॉक-युंग युन वही चिकित्सा वैज्ञानिक हैं जिन्होंने वुहान में होने वाली जांच के दौरान मदद की थी. प्रोफेसर युन के अनुसार न सिर्फ सबूतों को मिटाया गया बल्कि क्लीनिकल फाइंडिग के रिस्पांस को भी धीमा कर दिया गया. अब प्रोफेसर युंग युन के इस आरोप को चीन के द्वारा सिरे से नकार पाना आसान नहीं होगा. सबसे पहले अमेरिका और फिर ऑस्ट्रेलिया ने चीन पर यह आरोप लगाया था जिसको बाद में दुनिया के कई देशों से समर्थन मिला था.
ये है युन का बयांन
अपने बयान में प्रोफेसर युन ने बताया की 'जब हम जांच के लिए हुनान के मीट मार्केट गए तो वहां देखने के लिए कुछ भी नहीं बचा था क्योंकि मार्केट की सफाई पहले ही कर दी गई थी. इस बात से ही कहा जा सकता है कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ की गई थी. सीफूड मार्केट को इतनी अच्छी तरह साफ कर दिया गया था कि हमारे लिए पता लगाना मुश्किल हो जाए कि किस पशु से निकल कर यह वायरस नागरिकों तक पहुंचा.
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