नई दिल्ली.  पाकिस्तान से खबर दुनिया भर में चीन के कोरोना वायरस की तरह फ़ैल गई है कि जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को दस साल के कारावास का दंड दिया गया है. लाहौर जेल में गुजर रही हाफ़िज़ सईद की ज़िंदगी में पहले की ग्यारह साल की जेल की सजा में ये दस साल और जुड़ जाएंगे -इस तरह हाफ़िज़ सईद अब इक्कीस साल बाद ही बाहर आ सकेगा. लेकिन इस अदालती नौटंकी की ज़रूरत क्या थी इमरानी सरकार को?


काम चल रहा है अंदर से


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सच तो ये है कि पाकिस्तान सरकार ने हाफ़िज़ सईद को कारावास नहीं दिया है बल्कि उसे जेल में रख कर सरकारी सुरक्षा प्रदान की है. वो सारे काम जो हाफ़िज़ सईद जेल से बाहर रह कर कर रहा था, अब जेल के भीतर रह कर कर रहा है. उसे हर तरह की सुविधाएं प्राप्त हैं और किसी भी तरह की बंदिश नहीं है. वो कभी भी जेल से बाहर जा सकता है और उससे मिलने वाले भी बेरोकटोक दिन हो या रात, उससे मिलने अंदर आ सकते हैं. ऐसे में क्या मजबूरी थी कि उसे दस साल की अतिरिक्त सजा की नौटंकी करनी पड़ी है पाकिस्तान की सरकार को?


एफएटीएफ थी मजबूरी


इस अदालती नौटंकी की जरूरत दरअसल थी नहीं किन्तु मजबूरी ये पैदा हुई कि अंतर्राष्ट्रीय आतंक वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल रखा है और इस कदम से पाकिस्तान उन्हें बता सकेगा कि वह आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. ग्रे लिस्ट में डाल कर पेरिस स्थित इस अंतर्राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कोष संगठन ने पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय हुक्का-पानी बंद किया हुआ है.


अमेरिका की भी चल रही थी नौटंकी


जो अमेरिका पाकिस्तान में घुस कर आतंक के आका ओसामा बिन लादेन को ढेर कर सकता है उसने इस निकम्मे आतंकी जिसका नाम हाफ़िज़ सईद है, पर बारह साल पहले एक करोड़ डालर का इनाम रखा था. लेकिन सईद तो भारत के खिलाफ आतंक फैलाने में लगा था और अमेरिका के लिए वो किसी तरह से भी कोई सीधा खतरा नहीं था. ऐसे में इस नकली इनाम के नकली ऐलान की असली कहानी ऐसे समझ में आ जाती है कि न केवल हाफ़िज़ सईद, बल्कि उससे भी बड़े कई आतंकवादी छुट्टे सांड की तरह पाकिस्तान में विचरण करते थे. ऐसे में न पाकिस्तान की सरकार ने न किसी और मुल्क की सरकार ने उनको पकड़ने की न कोशिश कभी की न कभी जरूरत समझी.


परमानेन्ट सेटलमेन्ट नहीं है ये


ये पकड़ कर जेल में डालने वाली नौटंकी आज के लिए सम्हाल रखी थी पाकिस्तान ने. अब जिस दिन पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से व्हाइट लिस्ट में डाल देने की खबर आएगी तो अगले कुछ दिनों में ये भी खबर आएगी कि हाफ़िज़ सईद अब जेल में नहीं हैं. अदालतों ने सुनवाई में उन्हें निर्दोष पाया है और वे बाइज्जत बरी कर दिए गए हैं. न सांप मरेगा, न ही लाठी टूटेगी !


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