नई दिल्ली: कोरोना के प्रकोप से दुनिया डेढ़ सौ से भी अधिक देश प्रभावित हैं और लगभग तीन लाख लोगों की मृत्यु चीनी वायरस से हो चुकी है. इसके लिए चीन की साजिश और झूठ जिम्मेदार है. दुनियाभर में कई देश चीन पर गुस्से से उबल रहे हैं और कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सर्वविदित है कि चीन ने अपनी बदनामी से बचने के लिए कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैलने दिया और जब उससे स्पष्ट जानकारी मांगी गई तो चीन ने गुमराह करने वाली बातें कहीं. अब ऑस्ट्रेलिया भी चीन पर आगबबूला है. ऑस्ट्रेलिया की ओर से चालबाज चीन को सबक सिखाने की बात कही गयी है.


अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर रहा ऑस्ट्रेलिया


ऑस्ट्रेलिया ने मांग की है कि कोरोना वायरस महामारी की अंतरराष्ट्रीय जांच हो. चीन के द्वारा सही और उचित जानकारी न देने की वजह से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया. समय रहते किसी भी देश को चीनी यात्रियों और चीन से आने वालों पर रोक लगाने का मौका नहीं मिला. चीन को पता था कि सोशल दूरी ही फिलहाल कोरोना का इलाज है लेकिन चीन ने इसकी कोई बात दुनिया से नहीं की. गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया पहले भी चीन पर कार्रवाई की मांग कर चुका है.


अंतर्राष्ट्रीय जांच से डर रहा चीन


उल्लेखनीय है कि चीन को पता है अगर दुनियाभर के देशों ने निष्पक्ष जांच शुरू करवा दी उसके अमानवीय मंसूबे उजागर हो जाएंगे. इससे चीन को अंतर्राष्ट्रीय सजा भी दी जाएगी. पापी देश चीन को अग्रिम कार्रवाई की चिंता है और वो इसी चिंता में दुबला हुआ जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया में चीनी राजदूत चेंग जिंगाये ने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि इस तरह का कदम उठाने पर चीन के लोग ऑस्ट्रेलियाई वस्तुओं का बहिष्कार कर देंगे.


ये भी पढ़ें- लॉकडाउन: किसानों के संकट काटने के लिये वित्तमंत्री करेंगी अहम योजनाओं का ऐलान


धमकाकर डराने की कोशिश


चीन अपनी नापाक और बेहूदा हरक़तों पर एक्सपोज़ हो रहा है. उसको डर है कि आने वाले समय में उसको वैश्विक रूप से विरोध झेलना पड़ेगा. दुनिया में 3 लाख लोगों की मौत कोरोना वायरस से हुई है जो चीन की लैब से दुनियाभर में फैला. इस डर के मारे चीन कमजोर देशों को गीदड़भभकी देने की कोशिश कर रहा है.


स्वतंत्र जांच से चीन में भय


चीन सरकार कई बार कह चुकी है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की मांग करना बेहद खतरनाक कदम है. ऑस्ट्रेलिया जो कर रहा है, उससे चीन की जनता परेशान और निराश हुई है. यदि हालात और भी अधिक खराब होते हैं तो लोग सोचेंगे कि हम ऐसे देश क्यों जाएं जिसका चीन के प्रति रवैया दोस्ताना नहीं है और ऐसे में चीनी पर्यटक भी ऑस्ट्रेलिया आने से पहले सौ बार सोचेंगे.