Hellfire R9X missile: जानें किस मिसाइल से मारा गया अल जवाहिरी, जो दुनिया के हर टैंक को कर सकती है तबाह
Hellfire R9X missile: अमेरिकी ने अलकायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी को एक ड्रोन अटैक में मार गिराया है. इस अटैक में कौन सी मिसाइल का इस्तेमाल हुआ था और आखिर क्यों कम एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ. आपको मिसाइल से जुड़ी सारी जानकारी इस रिपोर्ट में दे देते हैं.
Zawahiri killed: 'अल जवाहिरी मारा गया...' ये शब्द अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के हैं. अमेरिका का दुश्मन नंबर वन अल कायदा का सरगाना अयमान अल जवाहिरी मारा गया. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अल कायदा के चीफ अल जवाहिरी को मौत के घाट उतार दिया गया. ये 9/11 हमले में शामिल शामिल था. इसे मारने के लिए अमेरिका ने एक ड्रोन मिसाइल का इस्तेमाल किया.
ड्रोन हमले में मारा गया अल जवाहिरी
अल जवाहिरी को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में ड्रोन हमले के जरिए सीआईए ने मारा गिराया. आपको बता दें, काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन के तहत इस हमले को अंजाम दिया गया. अब सवाल ये उठता है कि वो कौन सा ड्रोन था, जिसने आतंकी का खात्मा कर दिया और अफगानिस्तान में तालिबान को भनक तक नहीं पड़ी.
हेलफायर मिसाइल में लगे थे ये खास ब्लेड
अमेरिका ने अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को जहन्नुम भेज दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन का कहना है कि 'न्याय किया गया है' जब सीआईए ने बिन लादेन के करीबी जवाहिरी को मौत के घाट उतारा तो ब्लेड-फिटेड हेलफायर मिसाइलों ने उसका काम तमाम कर दिया.
कैसे काम करती है 'निन्जा'?
मिसाइल में लेजर टारगेटिंग सिस्टम लगा होता है. विस्फोटक की जगह 45 किलो का मेटल होता है. मिसाइल में चाकू जैसे 6 ब्लेड होते हैं. टारगेट हिट करने से पहले ब्लेड खुलते हैं. टारगेट पर ब्लेड्स सटीक निशाना लगाते हैं.
ऐसी जानकारी सामने आई है कि आतंकी अल जवाहिरी जब तालिबान के घर की बालकनी पर खड़ा था, उसी वक्त इस मिसाइल ने अपना काम कर दिया. ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस मिसाइल में फिट ब्लेड ने सीधे आतंकी पर अटैक किया. इसके मिसाइल को पूरी तरह लॉन्च नहीं किया गया था, क्योंकि ग्रेनेड के धमाके से ज्यादा तबाही हो सकती थी. अमेरिकी का मुख्य टारगेट अल जवाहिरी था. ऐसे में 9/11 के मास्टरमाइंड को दो दशक बाद शिकार बना लिया गया.
जानिए हेलफायर मिसाइल की खूबियां
हेलफायर मिसाइल (AGM-114 Hellfire) हवा से जमीन पर वार करने वाला एक सटीक हथियार माना जाता है. अमेरिका समेत कई अन्य देशों के पास ये हथियार मौजूद है. पहले इस मिसाइल को कवच-रोधी उपयोग के लिए विकसित किया गया था, हालांकि बाद में इसका इस्तेमाल लक्ष्य को भेदने और सटीक हमलों के लिए किया जाने लगा.
वैसे तो इस मिसाइल की कई सारी खास बातें हैं. ये मिसाइल दुनिया की हर तरह की टैंकों, बंकरों, संरचनाओं और हेलीकाप्टरों पर सटीक हमले के लिए जानी जाती हैं. आज के दौर में हेलफायर मिसाइल दुनिया के हर टैंक को नष्ट करने में सझम हैं. आपको इसकी ताकत से रूबरू करवाते हैं.
इसकी अधिकतम गति 995 मील प्रति घंटे या 1,601 किमी / घंटा है. वहीं मार्गदर्शन प्रणाली - सेमी-एक्टिव लेजर होमिंग मिलीमीटर-वेव रडार जैसे फीचर्स हैं.
मिसाइल की लंबाई- 1.6 मीटर/64 इंच
एक मिसाइल की कीमत- 15 लाख डॉलर
मिसाइल के निर्माता- लॉकहीड मार्टिन, बोइंग और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन
मिसाइल का भार- 45-49 किग्रा
मिसाइल का व्यास- 7 इंच (180 मिमी)
मिसाइल का इंजन- थियोकोल TX-657; ठोस-ईंधन रॉकेट
कितनी हैं ऐसी मिसाइलें?
एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 14 हजार से अधिक AGM-114L मिसाइलें खरीदी जा चुकी हैं. सबसे लेटेस्ट हेलफायर का एडिशन AGM-114R जो Hellfire II और इसे हेलफायर रोमियो भी कहा जाता है. अमेरिकी सेना ने ये जानकारी साझा की है कि अन्य सभी Hellfire II मिसाइल की जगह AGM-114R लेगा.
अमेरिकी ने अपनी ताकत एक बार फिर साबित कर दी है. अपने दुश्मनों को घर में घुस कर मारना हो या फिर दुश्मनों से बदला लेना हो, सभी दुश्मनों का अंजाम एक जैसा करने में अमेरिका सक्षम है. ये आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि अलकायदा के दो सरगना, दो बड़े आतंकियों को दो अलग अलग देशों में करीब एक जैसे अंजाम तक पहुंचाया. ये अमेरिकी स्टाइल है.
2 मई 2011 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ओसामा बिन लादेन के खात्मे की जानकारी साझा की थी
2 अगस्त 2022 को वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अल जवाहिरी के खात्मे की जानकारी साझा की है
पूरी दुनिया 9/11 को कभी नहीं भूल सकती, आतंकी हमले में करीब 3 हजार लोग मारे गए थे. आतंकवादियों ने 2 गगनचुंबी इमरातों को जमींदोज कर दिया था. जिसके बास दुश्मन की पहचान करने के बाद भी सालों तक अमेरिकी फौज रेगिस्तान में धूल फांकती रही, लेकिन एक दिन आया जब अल कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एब्टामाद में छिपा मिला.
अमेरिका ने अपने दुश्मन के सही ठिकाने का पक्का ठिकाना पता लगा, रात के अंधरे में मौत की नींद सुला दिया. 2 मई 2011 को 40 मिनट के ऑपरेशन में ओसामा बिन लादेन मारा गया. पाकिस्तान को भनक तक नहीं लगी कि उसकी गोद में पल रहे आतंकी ओसामा बिन लादेन मारा जा चुका है.
पाकिस्तान के एब्टामाद में लादेन का खात्मा
अफगानिस्तान के काबुल में जवाहिरी का खात्मा
करीब 11 साल बाद अमेरिका ने कुछ उसी अंदाज में आतंकी के घर घुस कर ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के अंदाज में अल कायदा सरगना अल जवाहिरी को मौत के घाट उतार दिया. इस बार दूसरे देश में ही अपने दुश्मन तक चुपचाप पहुंच कर ड्रोन हमले में मार गिराया है.
अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक काबुल में रविवार सुबह जोरदार धमाके की आवाज सुनी गई. अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि ये अंतर्राष्ट्रीय सिद्धातों का उल्लंघन है. अफगानिस्तान ने कहा है कि ये अंतरराष्ट्रीय कानून और दोहा समझौते का उल्लंघन है.
कौन था अयमान अल जवाहिरी?
19 जून 1957 को मिश्र के एक रईस परिवार में जन्म हुआ था. पेशे से सर्जन अल जवाहिरी अरबी और फ्रेंच बोलना भी जानता था. जवाहिरी ने इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद यानी EIJ का गठन किया था. मिस्र में 1970 के दशक में सेक्युलर शासन का विरोध करने के लिए ये एक उग्रवादी संगठन था. जवाहिरी मिस्र में इस्लामिक हुकूमत कायम रखना चाहता था.
उसे तीन साल तक जेल भी रहना पड़ा हालांकि बाद में वो सऊदी चला गया. ओसामा बिन लादने से अल जवाहिरी की मुलाकात सऊदी में हुई थी. वो पेशे से सर्जन था, लेकिन साल 1985 में जब ओसामा बिन लादेन अलकायदा को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के पेशावर में गया हुआ था. तभी अल जवाहिरी भी पेशावर में ही था, यहीं से दोनों की दोस्ती गहरा गई.
वो वक्त साल 2001 का था, जब अल जवाहिरी ने EIJ का अलकायदा में विलय कर लिया. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद जवाहिरी ने संगठन की कमान खुद के हाथ में ले ली. साल 2011 में वह अलकायदा चीफ बन गया था. अल जवाहिरी की तलाश अमेरिका को 9/11 अटैक के बाद से ही थी.
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