नई दिल्लीः बांग्लादेश की राजधानी ढाका से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां के एक निजी अस्पताल में खतना के दौरान एक 10 साल के लड़के अहनाफ तहमीद की मौत हो गई है. बच्चे के घर वालों ने अस्पताल पर धोखा देने का इल्जाम लगाया है. उनका कहना है कि उनसे पूछे बगैर बच्चे को पूरी तरह से बेहोश किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई. 


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एक घंटे बाद भी होश में नहीं आया मासूम
लड़के के पिता फखरुल आलम का कहना है कि दस साल के अहनाफ को मंगलवार की रात करीब-करीब आठ बजे ढाका के माली बाग चौधरी पाड़ा में जेएस डायग्रोस्टिक ऐंड मेडिकल चेकअप सेंटर में खतना के लिए लाया गया था. सर्जरी रात करीब साढ़े आठ बजे पूरी हुई. इसके एक घंटे बाद भी बच्चा होश में नहीं आया. 


'नहीं मिला सवालों का ठोस जवाब'
फखरुल आलम ने आगे कहा, मैंने बार-बार अस्पताल के लोगों से पूछा कि क्या मेरे बेटे को कोई समस्या है. लेकिन इस दौरान उन्होंने मेरे एक भी सवालों का ठोस जवाब नहीं दिया. वे हमेशा यही कहते रहे कि थोड़ी देर में होश आ जाएगा. पिता का कहना है कि रात लगभग दस बजे अस्पताल से बताया गया कि उनके बेटे की हालत खराब हो रही है. 


आईसीयू में किया रेफर 
इसके बाद अस्पताल की ओर से सुझाव दिया गया कि जल्द से जल्द बच्चे को पास के निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाया जाए, क्योंकि उनके पास आईसीयू नहीं है और बच्चे को आईसीयू की सख्त जरूरत है. इसके बाद परिवार वाले बच्चे को लेकर पास के निजी अस्पताल में जा ही रहे थे कि अहनाफ तहमीद की मौत हो गई है. 


'फूल बेहोश करने से किया था मना'
बता दें कि पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में बेहोश कर खतना करने का रिवाज बढ़ गया है. बच्चे के पिता फखरुल आलम ने कहा कि कुछ ही दिनों पहले मैंने सुना था कि खतना के दौरान एक बच्चे को पूरी तरह से बेहोश करने से उसकी मौत हो गई थी. इसी वजह से जब मैं अपने बच्चे को लेकर अस्पताल आया तो मैंने डॉक्टर के हाथ पकड़कर अपील की कि वे मेरे बेटे को फूल एनेस्थीसिया न दें. 


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