नई दिल्ली: Bangladesh National Anthem: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. यहां पर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतिरम सरकार बन गई है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी प्रदर्शन हो रहे हैं. अब बांग्लादेश में राष्ट्रगान बदलने की मांग जोर पड़ रही है. आइए, जानते हैं कि बांग्लादेश में ऐसी मांग क्यों उठ रही है, इसका भारत से क्या कनेक्शन बताया जा रहा है.


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बांग्लादेश में क्यों हो रही राष्ट्रगान बदलने की मांग?
दरअसल, बांग्लादेश के एक पूर्व सैनिक ने कहा कि देश का राष्ट्रगान (अमार सोनार बांग्ला) को भारत ने साल 1971 (जिस वर्ष बांग्लादेश बना था) में थोपा था. उसने आगे कहा कि राष्ट्रगान देश के औपनिवेशिक अतीत की याद दिलाता है. इसके बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेता और ग्रुप राष्ट्रगान बदलने की मांग करने लगे. हालांकि, सरकार ने कहा है कि उनकी राष्ट्रगान बदलने की कोई मंशा नहीं है.


मुद्दे ने कैसे पकड़ा तूल?
इस मुद्दे को तूल तब मिला जब बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने एक टिप्पणी की. अब्दुल्लाहिल ने देश का राष्ट्र्गान हमारे आजाद बांग्लादेश के विपरीत है. इस राष्ट्रगान में बांग्लादेश के विभाजन और दो बंगाल होने की बात है. जो गीत दो बंगाल को एक करने के लिए बनाया गया, वह आजाद बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है. मैं राष्ट्रगान का मामला सरकार पर छोड़ता हूं. 


भारत पर क्या आरोप?
अब्दुल्लाहिल ने आगे कहा कि काफी सारे ऐसे गीत हैं जो राष्ट्रगान बन सकते हैं. सरकार को नया राष्ट्रगान चुनने के लिए एक कमिशन का गठन करना चाहिए. वर्तमान राष्ट्रगान हमारे ऊपर भारत ने 1971 में थोपा था. इसी तरह एक पूर्व पूर्व ब्रिगेडियर जनरल ने भी राष्ट्रगान को बदलने की मांग की. 


भारत से अच्छे रिश्ता चाहती बांग्लादेश सरकार
लेकिन अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश के राष्ट्रगान को बदलने से इंकार कर दिया. धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने कहा कि सरकार की राष्ट्रगान को बदलने को लेकर कोई योजना नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है.


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