नई दिल्लीः बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण के हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 फीसदी आरक्षण रहेगा. यानी आरक्षण बना रहेगा लेकिन इसकी सीमा कम कर दी गई है.


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न्यायालय ने फैसले दिया कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं. पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था.


क्यों बांग्लादेश में उपजी हिंसा


दरअसल बांग्लादेश हाई कोर्ट के फैसले के बाद देश में हिंसा भड़क गई थी जिसके चलते उपजी हिंसा के बाद से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. बांग्लादेश में कई लोग आरक्षण का विरोध कर रहे थे. वे 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए हुए संघर्ष के युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण देने का विरोध कर रहे थे. 


स्वदेश लौट रहे भारतीय छात्र


वहीं हिंसा के चलते बांग्लादेश से भारतीय छात्र स्वदेश लौट रहे हैं. इससे पहले शनिवार को भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा था कि लगभग 1,000 भारतीय छात्र बांग्लादेश से विभिन्न सीमाओं या उड़ान के माध्यम से भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि विदेश मंत्रालय का पूरा ध्यान बांग्लादेश में भारतीयों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने पर है. 


विदेश मंत्रालय छात्रों के संपर्क में है


विदेश मंत्रालय के मुताबिक, बांग्लादेश में भारतीय मिशन भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं. जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि विदेश मंत्रालय का ध्यान भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि बांग्लादेश में कुल भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 15,000 होने का अनुमान है.


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