नई दिल्ली: पाकिस्तान की सरपरस्ती में पल रहे आतंकी संगठनों ने कोरोना संकट काल को अपनी ताकत बढ़ाने का हथियार बना लिया है. आतंकी संगठन बड़े पैमाने पर बेरोजगार युवाओं को आतंक के रास्ते पर ले जाने की साज़िश रच रहे हैं.


कोरोना संकट का फायदा उठा सकते हैं आतंकी


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बेल्जियम की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में नई भर्ती करेंगे ताकि वो उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सके. ब्रसेल्स के थिंक टैंक और साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फ्रंट की रिपोर्ट का दावा है कि लॉकडाउन से काम बंद हो गए हैं. जिससे हजारों युवाओं का रोजगार छिन गया है. ऐसे बेरोजगार युवाओं को खाना और पैसे का लालच देकर आतंकी संगठन में भर्ती करने की कोशिश हो रही है.


हाफ़िज़-मसूद का 'कोरोना आतंकवाद' प्लान


ब्रसेल्स की रिपोर्ट का दावा है कि हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत आतंकी समूहों ने आर्थिक संकट का फायदा उठाकर जेहादियों की टुकड़ियां तैयार की हैं. ये टुकड़ियां युवाओं को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के खिलाफ भड़का सकते हैं.


कोरोना काल के बेरोजगारों पर आतंकियों की 'गिद्ध दृष्टि'


युवाओं को बरगलाना आतंकी संगठनों के लिए नई बात नहीं है. धर्म, अशिक्षा और गरीबी के नाम पर युवाओं को बरगलाना आतंकी संगठनों की पुरानी आदत है. अब कोरोना संकट में भी आतंकी अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं दिख रहे हैं.


आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप तक पहुंच चुका है कोरोना


पाकिस्तान में आतंकी संगठन कोरोना संकट काल में आतंकियों की भर्ती में जुटे हुए हैं, तो वहीं आतंकियों के अड्डों तक भी कोरोना वायरस पहुंच चुका है. एक ऑडियो सामने आ रहा है, जिसमें आतंकी फोन पर अपने पिता को बता रहा है कि आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप तक कोरोना पहुंच चुका है, लेकिन उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया है.


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हर बार आतंकिस्तान ऐसी साजिशों के लिए औंधे मुंह गिरता है. हर दफा भारत उसे उसकी हैसियत दिखाता है. लेकिन वो कहते हैं ना कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती. पाकिस्तान भी किसी कुत्ते की दुम से कम नहीं है.


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