चीनी वायरस के दुष्चक्र में ब्रिटेन की आर्थिक हालत बिगड़ी
चीनी वायरस का सबसे बड़ा दुष्चक्र यही है जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखा गया है कि यदि जनता के प्राण बचाये सरकार तो आर्थिक स्थिति बिखर जाए और अगर आर्थिक स्थिति पर ध्यान दे तो ये महामारी जनता के लिए प्राणघाती बन जाए..
नई दिल्ली. चीनी वायरस से पैदा हुई कोरोना महामारी के दुष्चक्र में ब्रिटेन की आर्थिक हालत खराब हुई है. ब्रिटेन की सरकार भी परेशान है कि लॉकडाउन न लगाएं तो जनता की जान जाए और लॉकडाउन लगाएं तो देश की अर्थव्यवस्था की जान जाए. क्या करे किसी देश की सरकार. ज़ाहिर है सभी के लिए अपने लोगों की जान पहले है, देश की आर्थिक स्थिति बाद में.
मंदी की स्थिति है ब्रिटेन में
कोरोना संक्रमण ने ब्रिटेन को मंदी की चपेट में ला दिया है. उसकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है और लॉकडाउन के कारण हालात और भी खराब होने लगे हैं. देश में इस वैश्विक महामारी को नियंत्रण में करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण दूसरी तिमाही में ब्रिटिश जीडीपी में लगभग बीस प्रतिशत की कमी देखी गई है.
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के आंकड़ों ने की पुष्टि
ब्रिटेन में जीडीपी की गिरावट के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से मंदी की शिकार हो चली है. दो तिमाही के दौरान लगातार नकारात्मक विकास दर ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को आधिकारिक रूप से मंदी का बंदी बना डाला है. ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों पर विश्वास करें तो इस साल की शुरूआती तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था सवा दो फीसदी कम हो गई थी.
मासिक आंकडों से पैदा हुई उम्मीद
ये एक अच्छी चीज़ है ब्रिटेन की जिसे दुसरे देशों को भी अपनाना चाहिए. ब्रिटेन की सांख्यिकी एजेंसी न केवल तिमाही आंकड़े पेश करती है बल्कि मासिक आंकड़े भी जारी करती है. फिलहाल ब्रिटेन के मासिक आंकड़ों ने उम्मीद की किरण दिखाई है और और ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो जाएगा. जून में ब्रिटेन में गैर-मूलभूत वस्तुओं की दुकानों को फिर से खोलने का फैसला फायदेमंद रहा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था में साढ़े आठ फीसदी की बढ़त देखी गई है.
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