नई दिल्ली: गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं. 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी. इसमें चीन को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था. भारतीय सैनिकों ने चीन के 43 से भी अधिक जवानों को ढेर कर दिया था और चीन पूरी तरह भारत के बहादुर सैनिकों के आगे धराशायी हो गया था. अब चीन को बैक फुट पर जाना पड़ रहा है. चीन ने पहली बार आधिकारिक रूप से ये बात स्वीकार कर ली है कि उसका भूटान के साथ भी सीमा को लेकर विवाद है.


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चीन का ये बयान भारत के लिए महत्वपूर्ण


आपको बता दें कि चीन का ये स्वीकर करना कि भूटान के साथ उसका सीमा विवाद है, ये भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. गौरतलब है कि चीन का यह बयान भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश पर बीजिंग द्वारा लगातार दावा किया जाता रहा है. चीनी के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है.


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चीन और भूटान के बीच हो चुकी है दर्जनों बार वार्ता


उल्लेखनीय है कि भूटान और चीन ने अपनी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1984 और 2016 के बीच 24 बार वार्ता की है. भूटानी संसद में हुई चर्चा के अनुसार, केवल पश्चिमी और मध्य सीमा के विवादों पर केंद्रित है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सेक्टर में लंबे समय से विवाद चल रहा हैं. 


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चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि तीसरे पक्ष को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. चीन का साफ इशारा भारत की तरफ है. भारत हमेशा भूटान के साथ खड़ा रहा है जब जब चीन ने उसकी सीमाओं का अतिक्रमण किया है. चीन की साम्राज्यवाद की नीति के अंतर्गत वो अरुणांचल प्रदेश पर अपना दावा ठोकता है.