चीन ने माना कि उसने कोरोना सैंपल नष्ट कराये थे
कोरोना के खलनायक चीन पर लगाए गए आरोप सही थे और इसकी पुष्टि अब खुद चीन से हो गई है. चीन ने मान लिया है कि उसने नष्ट करवाए थे कोरोना के शुरुआती सैंपल..
नई दिल्ली. दुनिया का खलनायक चीन इतना सीधा नहीं कि यूं ही अपने ऊपर लगे आरोप को स्वीकार ले. शातिर चीन ने कोरोना के आरोपों से उसे घेर रही दुनिया से निपटने के लिए पूरा होमवर्क तैयार किया है. और ये स्वीकारोक्ति उस होमवर्क से जन्मी रणनीति का एक हिस्सा लगता है. इसलिए आज जब चीन चीन ने ये मान लिया है कि उसने कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल नष्ट करवा दिए थे, तो इसके पीछे चीन का दिमाग काम कर रहा है और उस दिमाग में चल रही है एक सोची समझी योजना जिसे कहा जा सकता है चीन की बचाव-नीति.
नेशनल हेल्थ कमीशन के सुपरवाइजर ने माना
कोरोना को लेकर सबसे पहले अमेरिका ने चीन को कटघरे में खड़ा किया था. उसके आरोपों में एक अहम् आरोप ये भी था कि चीन ने वायरस के सैंपल नष्ट किए थे. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीन पर ये आरोप लगाया था जिस पर अब चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के सुपरवाइजर लीऊ डेंगफेंग ने अपनी स्वीकारोक्ति दी है कि 3 जनवरी को चीन की सरकार ने आदेश जारी किया था कि अनाधिकृत लैब से कोरोना वायरस के सैंपलों को नष्ट किया जाए.
''चीन ने ऐसा कुछ छिपाने के लिए नहीं किया''
कोरोना-कॉन्सपिरेसी के आरोपों से घिरे चीन ने हमेशा की तरह पहले तो इन सवालों का सामना अपनी खामोशी से किया. उसके बाद अपने ब्रेन-वारियर्स को लगा कर चीन के बचाव के लिए इन सवालों के जवाब ढूंढें और अब इस होमवर्क का इस्तेमाल किया है. चीनी अधिकारी ने सैम्पल्स के नष्ट करने की बात तो मानी लेकिन ये भी साथ में कहा कि यह कहना अनुचित है कि चीन ने कुछ छिपाने के उद्देश्य से वायरस के सैंपल नष्ट किए.
''लैब को हादसे से बचाने के लिए ऐसा किया''
चीन ने अपने होमवर्क के हिसाब से दुनिया के मीडिया को अपने वक्तव्य से अवगत कराया है. सैम्पल्स को नष्ट करने की बात स्वीकार करने के बाद उसने अपनी मासूमियत भी जगजाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चीनी अधिकारी लीऊ डेंगफेंग ने कहा कि इन सैम्पल्स को नष्ट करने का हमारा इरादा ये था कि ऐसा करके हम लैब की बायोलॉजिकल सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे ताकि भविष्य में ऐसी कोई दूसरी बड़ी घटना न हो जाए.
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