अरुणाचल सीमा तक आया चीन, ब्रह्मपुत्र घाटी में पूरा किया सड़क निर्माण
यारलुग जंगबो विशाल घाटी के जरिए गुजरने वाले राजमार्ग का निर्माण 31 करोड़ डॉलर की लागत से किया गया. इसका निर्माण पिछले शनिवार को पूरा हो गया. यारलुग जंगबो को दुनिया की सबसे गहरी घाटी के रूप में जाना जाता है, जिसकी अधिकतम गहराई 6,009 मीटर है.
नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर दुनिया का सबसे बड़ा जल विद्युत बांध बनाने की योजना से पहले चीन ने ब्रह्मपुत्र घाटी से गुजरने वाले अहम राजमार्ग का निर्माण पूरा कर लिया है.
पिछले शनिवार को पूरा हो गया निर्माण
स्थानीय मीडिया के मुताबिक यारलुग जंगबो विशाल घाटी के जरिए गुजरने वाले राजमार्ग का निर्माण 31 करोड़ डॉलर की लागत से किया गया. इसका निर्माण पिछले शनिवार को पूरा हो गया. यारलुग जंगबो को दुनिया की सबसे गहरी घाटी के रूप में जाना जाता है, जिसकी अधिकतम गहराई 6,009 मीटर है.
2014 में शुरू हुई थी परियोजना
ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में यारलुंग जांगबो के नाम से जाना जाता है.
पिछले शनिवार को 2,114 मीटर सुरंग की खुदाई पूरी हुई और इसी के साथ न्यिंगची शहर की पैड टाउनशिप को मेडोग काउंटी से जोड़ने वाली 67.22 किलोमीटर सड़क का मुख्य निर्माण कार्य पूरा हो गया. इसके साथ ही इनके बीच यात्रा का समय आठ घंटे कम हो गया. यह परियोजना 2014 में शुरू हुई थी.
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LAC को लेकर है विवाद
मेडोग तिब्बत की आखिरी काउंटी है, जो अरुणाचल प्रदेश सीमा के निकट स्थित है.
चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है और इस दावे को भारत खारिज करता है. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है.
यह मेडोग से गुजरने वाला दूसरा अहम रास्ता है. पहला रास्ता इस काउंटी को झामोग टाउनशिप को जोड़ता है.
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