नई दिल्ली. चीन का अपने हर पड़ौसी देश से सीमा विवाद है. चीन के विषैले विस्तारवाद को देखते हुए इस बात को ऐसे कहा जा सकता है कि चीन ने अपने हर पड़ौसी की जमीन या तो हड़पी हुई है या हड़पने की मन्शा है. रूस से भी पहले चीन का सीमा विवाद था किन्तु हाल ही में दोनो अमेरिका विरोधी देशों की अच्छी छन रही थी. ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे के वादे के साथ आगे बढ़ रहे इन दोनो देशों की इस तथाकथित मित्रता पर अब पलीता लग सकता है.


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व्लादिवोस्तोक पर चीन ने किया दावा


अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद करने की आदत से मजबूर चीन ने डायन की तरह सात घर नहीं छोड़े. उसने अपने नये और इकलौते मजबूत दोस्त से पंगा लेने की शुरुआत कर दी है, ऐसा लगता है. चीन ने रूस के एक शहर पर अपना दावा ठोंक दिया है. रूस कै इस ऐतिहासिक शहर का नाम है व्लादिवोस्तोक.


सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन का दावा


चीन की सरकार ने अपनी आदत के मुताबिक खुद कोई बात न कह कर अपने मीडिया के माध्यम से ये बात कही है. चीन के सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई के द्वारा ये दावा किया गया है कि व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का शहर था जिसे पहले हैशेनवाई नाम से जाना जाता था. इस शहर को रूस ने अपनी एकतरफा संधि का फायदा उठा कर चीन से हड़प लिया था.


भारत-प्रेम हो सकती है वजह


चीन का अचानक इस तरह रूस के साथ जबरन विवाद का मसला सामने लाना यूं ही नहीं हो सकता. इसकी अनकही वजह रूस का भारत-प्रेम हो सकता है. रूस ने भारत-चीन विवाद पर भी चीन का साथ नहीं दिया और तटस्थ होने की बात कह कर चीन के साथ दोस्ती निभाने से बच गया. उसके बाद अब रूस से भारत की 33 जंगी विमानों का बड़ी डील हुई है जो कि एक सौ अस्सी अरब डालर की है. ये वजह चीन की जान जलाने के लिये काफी से भी ज्यादा हो सकती है.


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