नई दिल्ली.  चीन बौखालाया हुआ है और चीन की बौखलाहट की आवाज़ नहीं आ रही बल्कि उसकी बौखलाहट उसकी गतिविधियों में नज़र आ रही है. चीन की डिजिटल चोरियां, हैकिंग और जासूसी जैसी हरकतें उसकी इसी हताशा का नतीजा है. 


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कौन से हैं ये चारों मुद्दे 


वे चारों मुद्दे जिन पर चीन ने अपनेआपको दुनिया के कई देशों से घिरा हुआ पाया है वास्तव में इतने अहम मुद्दे हैं कि चीन के पास सफाई देने के लिए कुछ बचा नहीं है. कोरोना कॉन्सप्रेसी, हांगकांग और साउथ चाइना सी ऐसे तीन मुद्दे हैं जिन पर कई देशों ने चीन को घेरा हुआ है किन्तु चौथा मुद्दा भारत है जिस पर अकेले भारत ने ही चीन को कई मोर्चों पर घेर लिया है.


सबसे बड़ा मुद्दा है चीनी वायरस 


कोरोना पर तो आधी से ज्यादा दुनिया चीन के खिलाफ है जो साफ़ तौर पर चीनी साजिश को समझ पाई है. लेकिन यदि वोटिंग कराई जाए तो जो बाकी देश उलझन में हैं चीन पर कोरोना की साजिश के आरोपों को लेकर वे भी चीन के खिलाफ ही वोटिंग करेंगे. इसलिए सबसे बड़ा मुद्दा चीनी वायरस अर्थात कोरोना है जिस पर आधी दुनिया की नाराज़गी चीन ने मोल ले ली है.


साउथ चाइना सी है दूसरा बड़ा मुद्दा


साउथ चाइना सी पर नौ देश चीन के खिलाफ हैं जिनमें अमेरिका भी शामिल है. साउथ चाइना सी में चीन के अतिक्रमण के विरोधी देशों में अमेरिका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया,  ब्रूनेई, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, फिलिप्पींस, इंडोनेशिया. अमेरिका के नेतृत्व में ये देश चीन के साउथ चाइना सी के अतिक्रमण का जमीन पर उतर कर अर्थात सामरिक विरोध कर रहे हैं. 


तीसरा मुद्दा है हांगकांग


सैद्धांतिक तौर पर दुनिया भर में चीन के हांगकांग पर जबरिया कब्जे का विरोध हो रहा है किन्तु अमेरिका और ब्रिटेन खुल कर और सीधे तौर पर हांगकांग के साथ खड़े हैं और चीन की मनमानी की विरोध कर रहे हैं. कई अन्य देशों ने हांगकांग मुद्दे पर चीन का विरोध किया है और अब तो भारत ने भी हांगकांग को समर्थन दे दिया है. 


चौथा मुद्दा भी कम नहीं


चौथा और एक बड़ा मुद्दा है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत. एक सौ सैंतीस करोड़ के भारत का नेतृत्व कर रही है मोदी सरकार जो पिछली सरकारों की तरह लिजलिजी, समझौतेवादी और चीनपरस्त नहीं है. सीधी चुनौती दे कर चीन को घेरा है 2020 के भारत ने और अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चीन का विरोध भारत की वैश्विक कूटनीति का हिस्सा बन गया है.


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