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नई दिल्ली. किलर कोरोना से निपटने के लिए अब चीन किसी भी हद तक जाने को तैयार है. इसलिए वह एक बड़ा दांव खेलने की योजना भी बना रहा है जो कि देश की आर्थिक सुस्ती को चुस्ती का डोज़ देगी. 



 


दुहरा नुकसान किया कोरोना ने 


कोरोना संकट ने चीन के दिल की धड़कनें बढ़ा दी हैं. एक तरफ तो इस दिन दूने रात चौगुने बढ़ते संक्रमण पर वह नियंत्रण करने में असफल सिद्ध हो रहा है दूसरी तरफ उसका आर्थिक विकास भी कोरोना के कारण अब बाधित हो रहा है. ये बात दूसरी है कि चीन हार नहीं मां रहा और निरंतर इस वायरस को मात देकर इससे उबरने की कोशिश में लगा हुआ है. 


पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना करेगा मदद 


नई योजना के तहत चीन अपने बैंकों की मदद लेगा. सरकार के निर्देश पर चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ऋण देने की अपनी मुख्य ब्याज दर (LPR) में कटौती कर दी है. चीन के इस सबसे बड़े बैंक ने घोषणा की है कि बैंक मुख्य ब्याज दर में कटौती कर रहा है जिससे कि कंपनियों को कोरोना वायरस की आपदा से उबरने में राहत मिल सकेगी.



 


4.05 फीसदी कर दी मुख्य ब्याज दर 


एक साल की मैच्‍योरिटी के लिए पीपल्स बैंक ऑफ़ चाइना ने ऋण देने की अपनी मुख्य ब्याज दर घटा दी है जो कि अब 4.15 फीसदी से घट कर 4.05 फीसदी हो गई है. इस तरह देखा जाए तो ब्याज दर में 0.10 फीसदी की कटौती हुई है. इसी क्रम में  5 साल की मैच्‍योरिटी वाले ऋण के लिए ब्‍याज को 4.80 फीसदी से घटाकर 4.75 फीसदी किया गया है. पीपल्स बैंक ऑफ चाइना हर महीने 20 तारीख को अपने ऋण देने की मुख्य ब्याज दर का मूल्यांकन करता है.


कोरोना ने ठप्प की चीन की इकोनॉमी 


कोरोना वायरस ने चीन की इकोनॉमी को भी बुरी तरह संक्रमित किया है. इसके कारण चीन की इकोनॉमी ठंडी पड़ गई है. चीन के अलग-अलग सेक्‍टर की कंपनियां प्रोडक्‍शन, सप्‍लाई और सेल्‍स तक बंद करने को मजबूर हो रही हैं. 


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