नई दिल्ली. चीन शातिर है तो उसका भी इलाज है दुनिया में. और चीन का इलाज कर रहा है 'बिग ब्रदर' याने अमेरिका. अमेरिका न केवल चीन को धमका रहा है बल्कि चीन के विरोधियों को भी सशक्त कर रहा है चाहे वह ऑस्ट्रेलिया हो, जापान हो या भारत हो. और यह रणनीति चीन को बहुत भारी पड़ रही है. 


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ऑस्ट्रेलिया की बड़ी चाल 


चीन के खिलाफ यह ऑस्ट्रेलिया की एक कामयाब रणनीति है. ऑस्ट्रेलिया एक शांतिप्रिय किन्तु दबंग राष्ट्र है. यदि उसके पीछे आज अमेरिका न भी खड़ा होता तो भी चीन का विरोध इसी तरह मुखर हो कर ऑस्ट्रेलिया ने किया होता.  हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक घोषणा पत्र देकर ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर के दो विवादित आइलैंड, चीन के हिस्से के क्षेत्र नहीं हैं. और अच्छी बात ये भी है कि अमेरिका पहले से भी दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों में चीन के अधिकार के दावे का विरोध करता आया है. 


साऊथ चाइना सी में जबरिया चीनी दावा 


साउथ चाइना सी में चीन ने बहुत से दुश्मन बना लिए हैं और इसके पीछे उसकी विस्तारवादी मंशा है. साउथ चाइना सी के स्पार्टली और पार्सल आइलैंड्स पर चीन अपना जबरिया अधिकार जताता रहा है. अब ऑस्ट्रेलिया के इस ऊंचे दांव से चीन और ऑस्ट्रेलिया के पहले से बिगड़ रहे रिश्ते और बिगड़ जाएंगे. 


1982 के कन्वेंशन का हवाला दिया


संयुक्त राष्ट्र में ऑस्ट्रेलिया ने चीन पर अतिक्रमण का आरोप लगाने के साथ ही ये भी कहा कि स्प्राटली और पार्सल आइलैंड पर चीन के अधिकार का दावा अनुचित है और यह समुद्री कानूनों पर निर्मित वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन के नियमों का पालन भी नहीं करता. यहां यह जानना भी अहम् है कि अभी कुछ समय पहले विवादित क्षेत्र में चीन की नेवी ने ऑस्ट्रेलिया के जहाजों का विरोध भी किया था.


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