नई दिल्ली. चीनी सेना के ऐशो-आराम में पले सैनिकों के लिए लद्दाख की सर्दी बड़ी भारी पड़ रही है. अपने घरों से बहुत दूर इन चीन के भाड़े के सैनिकों को लद्दाख में सर्दी के शुरू होते ही बुरी हालत हो गई है. दूसरी तरफ भारतीय जवान पूरी मुस्तैदी से अपनी पोजीशन पर डटे हुए हैं और सर्दी सह भी रहे हैं और चीनी बौनों को चुनौती भी दे रहे हैं. 


सर्दी ने डराया पीएलए को 


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चीनी सैनिकों ने लद्दाख की सर्दी का संदेश बीजिंग में बैठी चीन की सरकार तक पहुंचा दिया है. चीन की सरकार इस स्थिति को लेकर चिंतित है. अब यदि वह सैनिकों को पीछे नहीं हटाती है तो सैनिक बागी हो सकते हैं किन्तु यदि वह सैनिकों को पीछे हटाता है तो भारत के आगे उसकी नाक कटती है. इसलिए स्थिति का बचाव करने के लिए चीन चाहता है कि बातचीत से ही वापसी का रास्ता निकल आये.  


गतिरोध हो सकता है समाप्त 


अब संभावना बनने लगी है कि भारत और चीन की सेनाओं का सीमा पर चार माह से अधिक पुराना गतिरोध जल्दी ही समाप्त हो जाए. वैसे भी चीनी सेना की हेकड़ी दो बार भारतीय सेना के जांबाज़ जवानों ने दुरुस्त कर दी है अब बाकी का काम यहां की कटीली सर्दी कर रही है. इस स्थिति पर गौर करने से लगता है कि अगले एक हफ्ते के भीतर चीनी सेना पीछे हट सकती है. 


प्रवक्ता ने जताई उम्मीद 


चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता झाओ लीजियान ने बातचीत के माध्यम से सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी की उम्मीद जताई है. अचानक इस बदले सुर की वजह लद्दाख की सर्दी बताई जाती है. इसलिए प्रवक्ता ने भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों को डराने के लिए सोमवार रात पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाने के साथ ही ये भी कहा कि जल्दी ही चीनी सैनिकों की वापसी होगी क्योंकि इंसानों का ऐसी सर्दी में रहना ठीक नहीं है.


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