सत्ता ने इमरान खान नियाज़ी को `नाज़ी` बना दिया!
पाकिस्तान इन दिनों इमरान खान और उनके पीछे खड़ी पाक सेना और पुलिस की तानाशाही के नीचे कराह रहा है. जगह जगह मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. पूरी दुनिया का ध्यान इस पर जाना जरुरी है.
नई दिल्ली: 'किसी भी इंसान का असली चरित्र देखना है तो उसे सत्ता सौंप दीजिए'. विश्व के सर्वाधिक क्रूर तानाशाह अडोल्फ हिटलर की कही गई यही बातें आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर पूरी तरह से लागू होती हैं.
जम्हूरियत का राग अलापने वाले इमरान हुकूमत में आने के चंद सालों में हिटलरशाही पर उतर आए हैं.
पाक में गूंजा अयूब मार्शल मुर्दाबाद का नारा
हाल में नवाज़ शरीफ़ के दामाद और विपक्षी पार्टी की नेता मरियम के पति को गिरफ़्तार किया गया. इस दौरान सफदर अवान ने नारा लगाया 'अयूब मार्शल मुर्दाबाद'. समूचे पाकिस्तान में इन दिनों यही नारा गूंज रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तानियों को लगने लगा है कि इमरान सरकार तानाशाही पर उतर आई है. दरअसल, कभी पाकिस्तानी सेना में सबसे ताक़तवर पद पर रहने वाले अयूब दिल और दिमाग़ से तानाशाह थे. लेकिन आज की तारीख़ में पाकिस्तान की सत्ता एक ऐसे शख़्स के हाथों में है तो अयूब से बड़े तानाशाह हैं और उन्हें नाज़ी हिटलर तक कहा जाने लगा है.
रोज़ क़त्ल कर दिए जा रहे हैं आम लोग
कभी पाकिस्तान से सामने आई एक तस्वीर ने दुनिया को हिलाया था. सरेराह पाकिस्तानी रेंजर्स ने सरफराज शाह नाम के एक शख़्स को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो वर्दी की आड़ में खुलेआम क़त्ल करने वाले पाकिस्तानी रेंजर को सज़ा-ए-मौत भी सुनाई गई थी.
आज की तारीख़ में जब पाकिस्तान की कमान इमरान खान के हाथ में है तो जगह जगह से पाकिस्तानी पुलिस और रेंजर्स की ऐसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं. इतना ही नहीं, हद तो ये है कि पाकिस्तान की पुलिस क़ानून बनाए रखने के नाम पर अपने प्राइवेट टॉर्चर सेल तक चला रही है. वर्दी की आड़ में जगह जगह पाकिस्तानी पुलिस ज़ुल्म की इंतेहा पार कर रही है. पाकिस्तान में अब तो ये एक तरह का दस्तूर बन चुका है कि जो टॉर्चर सेल में जाएगा वो लौटकर नहीं आ पाएगा.
बेकसूर लड़की को पाक की पंजाब पुलिस ने मार डाला
पाकिस्तान की पंजाब पुलिस में मौजूद डॉल्फिन विंग ने लाहौर में फातिमा नाम की एक लड़की को गोलियों से भून डाला. बेशक़, पुलिस की ओर से बाद में ये बयान जारी किया गया कि लड़की बदमाशों के साथ चल रही मुठभेड़ के दौरान अनजाने में मारी गई. लेकिन पाकिस्तान में इस तरह के केस को लेकर बवाल मचना आम बात है क्योंकि अक्सर यही केस जिन्हें भूल का नाम दिया जाता है बाद में फर्जी निकलते हैं.
फातिमा के साथ जो हुआ उस गुनाह को हादसा कहकर पर्दे में छिपाया जा सकता है. लेकिन पाकिस्तान में टॉर्चर सेल के अंदर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से बेक़सूर लोगों पर जुल्म ढहाना और फिर उन्हें मौत के घाट उतार देना इमरान की हुकूमत में कोई राज़ नहीं रहा है. पाकिस्तान में इमरान नियाज़ी उर्फ़ नाज़ी की हुकूमत में टॉर्चर सेल के अंदर क्रूरता की सारी हदों को लांघा जा रहा है.
पाक पुलिस 'दिव्यांगों' को भी नहीं बख़्श रही
सलाउद्दीन अयूबी नाम के शख़्स को भी इमरान की बेरहम और क्रूर पुलिस ने एटीएम में चोरी करने के शक़ में मार डाला. एटीएम के सीसीटीवी में सलाउद्दीन ने जीभ दिखाई. लाहौर पुलिस को सलाउद्दीन की यह हरकत अजीब और नाकाबिले बर्दाश्त लगी. लिहाज़ा, सलाउद्दीन को शिकंजे में लिया गया. इंटेरोगेशन के दौरान सलाउद्दीन के साथ प्रताड़ना का असहनीय दौर चला. एक वक़्त के बाद टॉर्चर इतना बढ़ा कि सलाउद्दीन की हिरासत में मौत ही हो गई. इसके बाद हुए खुलासे में सामने आया कि सलाउद्दीन मानसिक तौर पर कमज़ोर था.
इसके अलावा लाहौर के अमजद को पुलिस ने बुरी तरह टॉर्चर किया. मारपीट के चलते अमजद की मौत हो गई. ये आज तक किसी को मालूम नहीं चल पाया है कि अमजद का कसूर क्या था.
अपहरण में शरीक़ पाकिस्तान की पुलिस
दावा तो ये भी किया जाता है कि पाकिस्तानी पुलिस वर्दी की आड़ में बेकसूर नौजवानों को गिरफ़्तार करती है. लाहौर के हसन ताहिर को इसी तरह अगवा कर प्राइवेट टॉर्चर सेल में बंद कर दिया गया. वक़्त रहते हसन के घर वालों को भनक लग गई वरना इमरान की हिटलर पुलिस एक और नौजवान को मार डालती. पाकिस्तान में ऐसे दर्जनों नहीं, सैकड़ों मामले हैं, जिनको सुनकर आप सन्न रह जाएंगे. इमरान की हुकूमत में नए पाकिस्तान की हक़ीक़त यही है.जहां हिटलरशाही है. दहशतगर्दी है जिसके पीछे वर्दी है.
पाक सुप्रीम कोर्ट तक गया टॉर्चर सेल का मामला
पाकिस्तान में पुलिस का प्राइवेट टॉर्च सेल चलाना कोई नई बात नहीं है. साल 2010 में पाक सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्राइवेट सेल में हिंसा के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया जा चुका है. तब लाहौर में पुलिस थानों के बाहर क़रीब 150 प्राइवेट टॉर्चर सेल थे. आज इन प्राइवेट टॉर्चर सेल की संख्या सैकड़ों तक पहुंच चुकी है. इसी साल जनवरी में वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान ने पुलिसिया टॉर्चर का मामला बढ़ने पर सुधार का भरोसा दिलाया था. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई इमरान सरकार की ओर से नहीं की गई. ज़ाहिर है, इमरान से एक्शन की उम्मीद भी बेईमानी है क्योंकि वह खुद नाज़ी हैं.
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