नई दिल्लीः सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही कोरोना के कहर पर रोक लगेगी और फिर से जन जीवन सामान्य हो सकेगा. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सोमवार को कोरोना वायरस के पहले टीके का पहला परीक्षण किया. अमेरिका के सिएटल में एक महिला को पहली बार कोरोना वैक्सीन का इंजेक्शन दिया गया. सिएटल के रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक चिकित्सक ने COVID-19 का टीका एक महिला को लगाया. ये वैक्सीन दुनिया में रिकॉर्ड टाइम में विकसित की गई है. चीन में इस बीमारी का पता चलने के बाद केपीडब्ल्यू रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस वैक्सीन को विकसित करने में जी-जान से लगे थे.


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ट्रंप ने की डॉक्टरों की तारीफ
इस बीमारी से बचने के लिए भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में वैक्सीन विकसित किए जा रहे हैं. वाशिंगटन रिसर्च इंस्टीट्यूट की डॉक्टर लिजा जैक्सन ने परीक्षण से पहले कहा कि अब हम टीम कोरोना वायरस हैं. उन्होंने कहा कि इस आपातकाल में हर शख्स कुछ करना चाहता है जो वो कर सकता है.



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कामयाबी के लिए अपने देश के डॉक्टरों की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जा चुका है, यब दुनियाभर में अबतक सबसे जल्दी विकसित किया गया टीका है. उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बीमारी के खिलाफ एंटी वायरल और दूसरे थेरेपी भी विकसित करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है.


अब तक 7000 से ज्यादा शिकार
कोरोना वायरस अबतक दुनिया भर में 7000 से ज्यादा लोगों को शिकार बन चुका है. चीन से निकली ये बीमारी दुनिया के 145 देशों में फैल चुकी है, लेकिन वैज्ञानिक इसका टीका नहीं विकसित कर पाए हैं.


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इन्हें लगा पहला टीका
जानकारी के मुताबिक कोविड-19 का पहला टीका जेनिफर हैलर नाम की एक महिला को दिया गया, जो कि एक टेक कंपनी में ऑपरेशन मैनेजर है. 43 साल की इस महिला ने कहा, "हम सभी असहाय महूसस कर रहे थे, ये कुछ करने के लिए मेरे पास शानदार मौका है. सूई लेने के बाद दो बच्चों की मां जेनिफर ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं शानदार महसूस कर रही हूं.



इस महिला के अलावा तीन और लोगों को टीका दिया जाएगा. अब वैज्ञानिक इस वैक्सीन के असर का अध्ययन कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के सामने अब ये साबित करने की चुनौती है कि ये टीका सुरक्षित है और सफलतापूर्वक संक्रमण को रोक पाता है.


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12 से 18 महीने का और इंतजार
अगर ये परीक्षण सफल भी हो जाता है तो भी बाजार में वैक्सीन को आने में 12 से 18 महीने लगेंगे. क्योंकि इस टीके का असर समझने में कई महीने लग सकते हैं. इस परीक्षण के लिए 18 से 55 साल के 45 स्वस्थ लोगों का चयन किया गया है. इन पर 6 हफ्ते तक टीके के असर का अध्ययन किया जाएगा. इंस्टीट्यूट ने 45 लोगों का चयन परीक्षण के लिए किया है.