नई दिल्ली. मलाला युसुफ़ज़ई ने दुनिया के देशों को यह सन्देश दिया है जिसमें उन्होंने कोरोना के कारण उतपन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की तरफ उनका ध्यान आकर्षित कराया है. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई ने ध्यान दिलाया कि कोरोना महामारी के चले जाने के बाद भी दो करोड़ लड़कियां शायद स्कूल नहीं पहुंच पाएंगी.


महिला-शिक्षा को भारी आघात 


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महिला शिक्षा पर ये महत्वपूर्ण बात न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग हट कर हुई. मलाला यूसफज़ई ने इस दिशा की तरफ ध्यान दिलाया और दुनिया को चौंका दिया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी ने  महिलाओं को शिक्षित करने के सामूहिक वैश्विक लक्ष्य को भारी चोट पहुंचाई है. मलाला ने कहा कि महामारी जब नहीं रहेगी उस समय भी नारी शिक्षा के मोर्चे पर दो करोड़ लड़कियां शिक्षा से वंचित रहेंगी. इस वायरस के कारण वैश्विक स्तर पर नारी-शिक्षा हेतु कोष जुटाने के प्रयास कमज़ोर पड़ेंगे.


बालिका शिक्षा के लिए खाई थी गोली 


सर्वविदित है कि ये वही मलाला यूसफज़ई हैं जिनको पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए मुहिम चलाने के अपराध का दोषी माना गया था और पाकिस्तानी तालिबानी आतंकियों ने उनको गोली मार दी थी.  वैश्विक समुदाय को स्मरण कराते हुए मलाला ने कहा कि पांच वर्ष पूर्व ही संयुक्त राष्ट्र निर्धारित सतत वैश्विक लक्ष्य में लाखों लड़कियों के सुनहरे भविष्य की दिशा में विचार किया था. आज कोरोना के बाद  उस दिशा में गंभीर हो कर सोचने की आवश्यकता है.


शिक्षित होना चाहती हैं लडकियां 


मलाला जिनकी बात कर रही हैं वो मूल रूप से दकियानूसी इस्लामी देश हैं जहां लड़कियों के लिए मुख्य धारा वाली पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है.  मलाला ने इन्ही लड़कियों की चाहत को अपनी आवाज़ दी है जो दुनिया के अपने अपने देशों में शिक्षित होना चाहती हैं और गैर बराबरी से मुकाबला करना चाहती हैं.


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