क्या कोरोना पर असरदार साबित होगा डीएनए आधारित कोविड-19 टीका? चूहों पर पाया गया प्रभावी
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि हाल के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला कि डीएनए टीके एचआईवी-1, जीका वायरस, इबोला वायरस और इंफ्लुएंजा जैसे वायरसों समेत अन्य संक्रमणों के इलाज में सुरक्षित और प्रभावी हैं.
नई दिल्ली: ताइवान में वैज्ञानिकों ने डीएनए पर आधारित कोविड-19 रोधी टीका बनाया है जो चूहे तथा हैम्स्टर में कोरोना वायरस के खिलाफ लंबे समय तक रहने वाली एंटीबॉडी बनाने में सफल पाया गया है.
अभी उपलब्ध कुछ कोविड-19 टीके सार्स-सीओवी-2 विषाणु का पता लगाने के लिए मानव प्रतिरक्षा प्रणाली में राइबोज न्यूक्लिक एसिड (आरएनए) या एमआरएनए पर निर्भर रहता है. हैमस्टर चूहे के जैसा ही जानवर होता है.
ज्यादातर विषाणुओं में आनुवंशिक सामग्री के रूप में आरएनए या डीएनए रहता है. सार्स-सीओवी-2 विषाणु में आनुवंशिक सामग्री के तौर पर आरएनए है.
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चूहों पर असरदार नजर आया डीएनए टीका
पत्रिका 'पीएलओएस नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीज' में प्रकाशित नया अध्ययन एक ऐसा टीका विकसित होने के बारे में संभावना जताता है कि जिसमें मानव कोशिशकाओं में घुसने और संक्रमित करने के लिए जिम्मेदार वायरस में मौजूद डीएनए का इस्तेमाल किया गया है.
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि हाल के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला कि डीएनए टीके एचआईवी-1, जीका वायरस, इबोला वायरस और इंफ्लुएंजा जैसे वायरसों समेत अन्य संक्रमणों के इलाज में सुरक्षित और प्रभावी हैं.
अनुसंधानकर्ताओं ने दिखाया कि जिन चूहे और हैमस्टर को नया डीएनए टीका लगाया गया उनमें सार्स सीओवी-2 के खिलाफ लंबे समय तक एंटीबॉडी रही.
उन्होंने बताया कि ये एंटीबॉडी टीका लगने के आठ हफ्तों बाद सबसे अधिक बनती हैं.
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