नई दिल्लीः महामारी के भीषण माहौल में दुनिया के दो देश आमने-सामने खड़े हैं. यह हैं अजरबैजान  Azerbaijan) और आर्मेनिया (Armenia). करीब 4000 वर्ग मीटर की परिमाप वाला एक पहाड़ी इलाका  नागरनो-काराबख इनके बीच तनाव बनकर पनपा और इसका नतीजा युद्ध तक जा पहुंचा है. दोनों ही देश एक-दूसरे पर भीषण अटैक कर रहे हैं. रविवार से शुरू हुआ यह हमला सोमवार को भी जारी रहा है और अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि यहां करीब 550 लोग मारे जा चुके हैं. इनमें दोनों और के सैनिक और आम नागरिक की संख्या शामिल है. 


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रविवार से शुरू हुआ है युद्ध
जानकारी के मुताबिक, रविवार को अजरबैजान Azerbaijan) के प्रॉसीक्यूटर जनरल के कार्यालय ने कहा कि आर्मेनिया (Armenia) के अलगाववादी बलों ने अजरबैजान  Azerbaijan) के गैसहल्टी गांव पर हमला किया, जिसमें आम नागरिक मारे गए.



दोनों देश एक-दूसरे पर युद्ध थोपने का आरोप लगा रहे थे. आर्मेनिया (Armenia) ने दावा किया है कि उसने अजरबैजान Azerbaijan)  के चार हेलिकॉप्टरों को मार गिराया और 33 टैंक एवं युद्धक वाहन को नेस्तानाबूद कर दिया. हालांकि, अजरबैजान Azerbaijan) ने आर्मेनिया के इसका खंडन किया था. रविवार को अजरबैजान Azerbaijan) के राष्ट्रपति ने कहा था कि उनकी सेना को नुकसान हुआ है, लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया है. 


दोनों देश एक-दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप
इसी तरह सोमवार को अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि आमेनियाई  (Armenia) बलों ने सोमवार सुबह टारटार शहर पर गोलाबारी शुरू कर दी. वहीं, आर्मेनिया (Armenia)  के अधिकारियों ने कहा कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान Azerbaijan) ने सुबह घातक हमले शुरू कर दिए.



अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने मीडिया को सोमवार को बताया कि लड़ाई में आर्मेनिया (Armenia) के 550 से अधिक सैनिक मारे गए हैं. हालांकि आर्मेनिया (Armenia) भी ऐसे ही दावे कर रहा है. 


इसलिए है विवाद
यह पुरा विवाद नागरनो-काराबख इलाके को लेकर है, यह अभी अजरबैजान Azerbaijan) में पड़ता है, लेकिन अभी आर्मेनिया (Armenia) की सेना का यहां पर कब्जा है. करीब चार हजार वर्ग किमी. का ये पूरा इलाका पहाड़ी है, जहां तनाव की स्थिति बनी रहती है. मौजूदा तनाव 2018 में शुरू हुआ था, जब दोनों सेना ने सीमा से सटे इलाके में अपनी सेनाओं को बढ़ा दिया था. अब ये तनाव युद्धक हो चुका है. 


क्या अन्य देश भी ले सकते हैं हिस्सा
इस जंग के तेज होने के साथ ही विश्व के अन्य देशों के भी इसमें कूद पड़ने के आसार नजर आने लगे हैं. सबसे अधिर आसार रूस और टर्की के लग रहे हैं. इसके साथ ही नाटो देशों के भी हमलावर होने की आशंका बन गई है. हालांकि दोनों ही देशों से सटी सीमा रखने वाले ईरान ने मध्यस्थता की कोशिश की है. वही टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन ने अजरबैजान Azerbaijan) के समर्थन की घोषणा रविवार को ही कर दी है. 


संघर्ष विराम की अपील, लेकिन नहीं आ रही है काम
हालांकि सकारात्मक पक्ष यह है कि विश्व भर से आ रही प्रतिक्रियाओं में युद्ध बंदी की आवाज उठाने वाली आवाजें तेज हैं. रूस ने आर्मेनिया (Armenia) और अजरबैजान Azerbaijan) से तत्काल संघर्षविराम करने, दोनों पक्षों को संयम बरतने और बातचीत से मसले को सुलझाने को कहा है. दूसरी ओर अमेरिका ने कहा कि उसने दोनों देशों से तुरंत लड़ाई बंद करने के साथ ही विवादित बयानों, कार्रवाइयों से बचने का आग्रह किया है. वहीं, फ़्रांस ने भी दोनों देशों से संघर्षविराम और बातचीत का आग्रह किया है.


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