चीन में बेटों को ज्यादा तरजीह दे रहे लोग, बेटियां हो रही हैं शोषित: रिपोर्ट
लैंगिक संकट से जूझते चीन में बेटियों के साथ हो रहा है अत्याचार. एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा.
लैंकेस्टर. चीन में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या ज्यादा है. ऐसी स्थिति में देश में लैंगिक संकट के हालात हैं. साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक देश में महिलाए 69 करोड़ तो वहीं पुरुष करीब 72 करोड़ हैं. 'द कन्वरसेशन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यह लैंगिक संकट गर्भपात से जुड़ा हुआ है. इस लैंगिक संकट का संबंध एक संतान नीति से भी है. हालांकि यह नीति साल 2015 में खत्म हो चुकी है.
रिपोर्ट के मुताबिक आम धारणा है कि इस नीति को कड़ाई से लागू किया गया लेकिन कई चीनी कपल जुर्माना भरकर और लाभ से वंचित रहने के प्रावधान को स्वीकार कर एक से अधिक बच्चे रखने में कामयाब रहे. इसके लिए लोगों ने कई कानूनी तिकड़म भी लगाए. लेकिन सामान्य तौर पर लोगों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पहली संतान बेटी हुई थी.
एक संतान नीति में हुआ बदलाव
बीते सालों में चीन की नीति एक संतान से फिर दो और अब तीन तक पहुंच गई है. लेकिन अब भी लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि बेटियों से ज्यादा बेटों का मोल है. यही कारण है कि हाल के वर्षों में लोकप्रिय टेलीविजन सीरीज-- ‘ओडे टू जॉय ’ टूटी कड़ी, ‘ऑल इज वेल’ और ‘आई विल फाइंड यू बेटर होम’ से पारिवारिक भेदभाव और समसामयिक चीनी समाज में बेटियों के साथ अब भी हो रहे बुरे बर्ताव की ओर फिर से ध्यान खींचा है.
सोशल मीडिया पर हजारों प्रतिक्रियाएं
इन धारावाहिकों समेत तमान्य अन्य घटनाओं के मद्देनजर सोशल मीडिया पर महिलाएं अपनी प्रतिक्रिया दे रही हैं. रिपोर्ट में हजारों पोस्ट और वीडियो क्लिप का रिसर्च किया गया है. रिपोर्ट कहती है कि बेटियों के दिमाग में जन्म से ही यह भरा जाता है कि अपात्र होने के बाद भी वे परिवार के संसाधनों का लाभ उठाती हैं, जन्म लेने के साथ ही वे हमेशा के लिए परिवार के प्रति ऋणी हो गयी हैं. इससे उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होती है और वो शोषित होती हैं.
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