डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को चेताया,`अमेरिका खत्म कर सकता है व्यापारिक संबंध`
कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा विश्व जूझ रहा है. इस महासंकट के लिये अगर कोई देश जिम्मेदार है तो वो चीन है.
नई दिल्ली: चीन ने दुनिया को जो भी दिया वो हमेशा मानवता के लिए घातक साबित हुआ. भगवान बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करने के बजाय चीन ने पाकिस्तान के आतंक को अपना लिया. झूठ बोलकर कोरोना रूपी ऐसा मानव बम चीन ने दुनिया पर फेंका है जिससे लाखों लोग जान गवां चुके हैं. भारत ने भगवान बुद्ध के महान संदेश और उनकी विरासत चीन को दी थी लेकिन उसने इनका अनुपालन नहीं किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को कठोर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर चीन ने अमेरिका के सवालों के जवाब नहीं दिया तो उस पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
ट्रेड वॉर पर पहले से छिड़ा है संग्राम
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को धमकी देते हुए कहा है कि यदि उसने कोरोना पर अमेरिका के सवालों का जवाब नहीं दिया, तो दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते खत्म हो जाएंगे. ज्ञात है कि इस साल जनवरी में अमेरिका और चीन ने ट्रेड वॉर पर विराम लगाते हुए पहले चरण के व्यावसायिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिका शुरू से ही कोरोना के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहरता आ रहा है. अमेरिकी एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि क्या चीन ने जानबूझकर दुनिया भर में कोरोना फैलाया.
कोरोना से अमेरिका में मर चुके हैं 45 हजार से भी ज्यादा लोग
कोरोना कहर से बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में कोविड-19 महामारी से हर दिन मौत का नया रिकॉर्ड बन रहा है. पिछले 24 घंटे में अमेरिका में कोरोना वायरस से 2751 लोगों की मौत हो गई है. अमेरिका में कोविड-19 महामारी के अब तक 800,000 कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं, वहीं 44,845 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बताया जा रहा है कि करीब 40,000 नए कोरोना केस सोमवार और मंगलवार के बीच एक ही समय में दर्ज किया गया.
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अपनी तारीफ करने से नहीं चूकते ट्रंप
इतनी वीभत्स स्थिति होने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप अपनी तारीफ करने से नहीं चूकते हैं. सभी लोग जानते हैं कि किस तरह उन्होंने समय रहते अमेरिका में लॉक डाउन नहीं लगाया. उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति चुने जाने से पहले तक चीन अमेरिका को लूटता आया है.
ट्रम्प ने अपनी सरकार की सराहना में कहा कि चीन को लेकर मेरे जैसा सख्त रुख अब तक किसी ने नहीं अपनाया है’. उन्होंने आगे कहा, ‘एक नजर डालें, प्रति वर्ष 200 बिलियन डॉलर, 300 बिलियन डॉलर, 400 बिलियन डॉलर, 500 बिलियन डॉलर, आखिर उन्होंने यह कैसे होने दिया? अब, यदि आप पिछले वर्ष को देखें, तो पाएंगे कि घाटा कम हो गया है’.
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