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नई दिल्ली. मिस्र के स्पेशल फ़ोर्स के पूर्व अधिकारी से आतंकवादी बने हिशाम अश्मावी को फांसी पर चढ़ा दिया गया और इस प्रकार मिस्र ने आतंक के प्रति जीरो टॉलरेन्स के सिद्धांत का सफलतापूर्वक पालन किया. यही नहीं काहिरा की अदालत के द्वारा इस आतंकी के अलावा 36 और आतंकियों को भी फांसी चढ़ाने का हुक्म दिया गया है. 



 


हिशाम अश्मावी फांसी पर चढ़ाया गया


काहिरा से आई खबर के अनुसार मिस्र ने अपनी सेना के विशेष हिस्से - स्पेशल फ़ोर्स में काम कर चुके पूर्व अधिकारी से इस्लामी आतंकवादी बने हिशाम अश्मावी को चार मार्च को फांसी पर लटका दिया. सेना ने मीडिया को बताया कि देश में हुए कई बड़े हमलों में हिशाम की संलिप्तता थी जिसकी वजह से उसे प्राणदंड दिया गया है. मिस्र की सेना के प्रवक्ता तमर अल रिफई के अनुसार आवश्यक न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद सेना की अदालत ने फांसी देने का फैसला लिया था जिस पर तुरंत तामील किया गया. 


अलकायदा के खिलाफ सेना के लिए काम करता था 


हिशाम अश्मावी को मिस्र में मोस्ट वांटेड माना गया था. हिशाम जब स्पेशल फ़ोर्स में अधिकारी था उस दौरान वह अलकायदा से संबद्ध संगठनों के खात्मे के लिए काम करने वाले इस सेना के विशेष हिस्से में एक अहम पद पर कार्यरत था.  काहिरा की अदालत ने अश्मावी के अलावा  36 अन्य आतंकियों को मौत की सजा सुनायी थी जिसकी वजह इन आतंकियों का पुलिस अधिकारियों की हत्या करना और कई सुरक्षा प्रतिष्ठानों को उड़ाने जैसे 54 अपराधों में शामिल होना था. 



 


22 सैनिकों की जान ली थी अश्मावी ने 


काहिरा की सैनिक अदालत में अश्मावी पर मिस्र के बाइस सैनिकों पर हमला करके उनकी जान लेने का आरोप था जो कि उसने 2014 में सीमा चौकी पर हमला करके अंजाम दिया था. इतना ही नहीं हिशाम को  2013 में पूर्व गृह मंत्री की हत्या की कोशिश समेत 14 अपराधों में शामिल होने का अपराधी माना गया था. हिशाम को सिनई क्षेत्र में अनसर बेत अल मकदिस इस्लामी चरमपंथी संगठन की अगुवाई करने का दोषी भी पाया गया था.


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