नई दिल्ली.  यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री क्यों सीख रहे हैं चीनी भाषा - ये प्रश्न अपने आप में एक गौरव की बात है चीन के लिए. अंतरिक्ष की रेस में चीन का सशक्त होना अब बता रहा है कि अब इसमें पश्चिमी देशों का दबदबा कम होता जा रहा है क्योंकि दो नए खिलाड़ी सामने आये हैं चीन और भारत, जो बड़े खिलाडी बन कर उभरे हैं.



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चीन की स्पेस रेस की बड़ी कामयाबी 


ये चीन के अंतरिक्ष विज्ञान के लिये बड़ी सफलता है कि अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एस्ट्रोनॉट चीन में रहकर वहीं के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सी-सर्वाइवल ट्रेनिंग ले रहे हैं. ये ट्रेनिंग सेंटर चीन के यानताई शहर के समुद्र तटीय इलाक़े में बनाया गया है. 


यहां यूरोप के अंतरिक्षयात्री ले रहे हैं ट्रेनिंग 


यूरोपियन स्पेस एजेंसी से जुड़े जर्मनी के अंतरिक्ष यात्री मैथियास मॉरर और इसी स्पेस एजेंसी के के दो दूसरे एस्ट्रोनॉट यहीं से ट्रेनिंग लेकर गए थे. उन्होंने चीन के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कुछ समय तक काम भी किया था.



 


चीनी भाषा सीख रहे हैं मॉरर


जर्मन अंतरिक्षयात्री मॉरर बताते हैं कि चीन में उनके साथ कई देशों के अंतरिक्ष यात्री काम कर रहे थे. वे सबके साथ अंग्रेज़ी में बात कर लेते थे लेकिन चीनी एस्ट्रोनॉट अपनी मातृभाषा अर्थात मंदारिन में ही बात करना पसंद करते थे. इसलिए मॉरर ने मंदारिन भाषा सीखनी शुरू कर दी.


मिलनसार हैं चीन के ऑस्ट्रोनाट्स


यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सभी चीन आये हुए अंतरिक्ष यात्रियों का कहना है कि चीनी एस्ट्रोनॉट के साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा. उनको उन्होंने कभी महसूस नहीं होने दिया कि वे अपने देश से दूर अलग संस्कृति और भाषा के लोगों के साथ रह रहे हैं. चीनी ऑस्ट्रोनाट्स के साथ वो सभी मिलजुल कर खाते-पीते थे, बातें करते थे और परिवार की तरह रहते थे.


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