नई दिल्ली: Pakistan and Taliban Relations: भारत की अफगानिस्तान में शासन चला रहे तालिबान से नजदीकियां बढ़ रही हैं. जबकि एक दौर ऐसा हुआ करता था, जब पाक तालिबान का करीबी हुआ करता था. फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों अब एक-दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए हैं? चलिए, पढ़ते हैं कि दोनों पक्षों के बीच की दोस्ती और दुश्मनी की पूरी कहानी.


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भारत की तालिबान से मुलाकात
हाल में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मीटिंग की. दोनों के बीच 8 जनवरी को दुबई में हुई. यह पहली बार है जब भारत की तरफ से विदेश सचिव की तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री से मुलाकात हुई. इससे पहले बीते साल 7 नवंबर को विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने तालिबान शासन से मुलाकात की थी. 


ये मुलाकात क्यों अहम है?
हाल की भारत और तालिबान की मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इससे ठीक पहले पाक ने अफगानिस्तान के कुछ इलाकों पर एयर स्ट्राइक की थी. इसका तालिबान की ओर से भी करार जवाब दिया गया था. तालिबान ने पाकिस्तानी सेना की पोस्ट को उड़ा दिया. भारत ने मौका देखते हुए पाकिस्तान द्वारा की गई एयर स्ट्राइक की आलोचना की. पाक की एयर स्ट्राइक में अफगानिस्तान में 46 लोग मरे, तालिबान का घाव भरा भी नहीं, इससे पहले ही भारत ने उससे मुलाकात कर ली.


भारत ने तालिबान को बहुत-कुछ दिया
भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार चलता है. भारत ने तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान को अब तक 300 टन दवाइयां, 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 27 टन भूकंप राहत सामग्री, 40 हजार लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, 1.5 मिलियन कोरोना वैक्सीन की डोज, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11 हजार यूनिट स्वच्छता किट सहित बड़ी सहायता दी है.


पाक और तालिबान की ऐसी रही दोस्ती
परंपरागत रूप से पाकिस्तान तालिबान का समर्थक ही माना जाता रहा है. दोनों के बीच पहले गहरे संबंध हुआ करते थे. साल 2011 में जब तालिबान अफगानिस्तान में लौटा, तो पाक खुशियां मना रहा था. पाक तालिबान शासन के लौटने से कितना खुश था, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पाक की खुफिया एजेंसी ISI के तब के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने अफगानिस्तान के काबुल में जश्न मनाया था. उन्होंने एक फाइव स्टार होटल में में चाय की चुस्की लेते हुए एक अंग्रेजी पत्रकार से कहा था- चिंता न करें, अब सब कुछ ठीक हो जाएगा. इससे पहले जब 1996 में, जब तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ, तब भी पाक उन 3 देशों में से एक था, तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता दी.


ऑपरेशन लाल मस्जिद बना दुश्मनी की वजह
तालिबान और पाकिस्तान के बीच दरार का कारण 2007 में हुआ लाल मस्जिद ऑपरेशन है. लाल मस्जिद से उस दौरान कट्टरपंथी इस्लामिक गतिविधियां संचालित होती थीं. आतंकी संगठनों को यहां से समर्थन मिलता था. 2007 में लाल मस्जिद के छात्रों ने पाक की राजधानी इस्लामाबाद के एक मसाज सेंटर से 9 लोगों का अपहरण किया. फिर पाक की आर्मी ने लाल मस्जिद को घेरकर ऑपरेशन चलाया. इसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें पाक के सैनिक और मस्जिद में बैठे आतंकी भी शामिल थे. इसका बदला लेने के लिए बाद पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बना, जो पाक पर हमले करने लगा. लाल मस्जिद ऑपरेशन के बाद के एक साल के भीतर 88 बम धमाकों में पाकिस्तान के 1100 लोग मारे गए. नतीजतन, परवेज मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा. जब तालिबान दूसरी बार सत्ता में लौटा, तब TTP और अधिक मजबूत हुआ और उसने पाक पर हमले जारी रखे. जबकि पाक को उम्मीद थी कि अफगानिस्तान पर शासन करने वाला तालिबान TTP को रोक देगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.


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