नई दिल्लीः चीन भारतीय सीमा पर तो तनाव का माहौल बना ही रहा है, इसके अलावा जिस भी देश में हैल वहां अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अमेरिका में हैकिंग और जासूसी का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें पांच चीनी नागरिक आरोपी बनाए गए हैं. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने पांच चीनी नागरिकों पर हैकिंग का आरोप लगाया है. इसके अलावा मलेशिया के भी दो नागरिक पकड़े गए हैं. हालांकि चीनी नागरिक अभी फरार हैं. 


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जेफरी रोजेन ने दी जानकारी
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस डिपार्टमेंट ने बताया कि चीन के पांच हैकर्स ने तकरीबन 100 कंपनियों का DATA हैक किया है. यह कंपनियां भारत समेत कई देशों में स्थित हैं. डिप्टी US अटार्नी जनरल जेफरी रोजेन ने इसकी जानकारी दी उन्होंने कहा कि हैकर्स ने इन कंपनियों के सॉफ्टवेयर डेटा और बिजनस इंटेलिजेंस को चुरा लिया है.



मलेशिया के दो नागरिकों ने हैक किए गए DATA को बेचने में मदद की. आरोपियों ने अमेरिका और भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चिली, हॉन्ग-कॉन्ग, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाइलैंड और वियतनाम को निशाना बनाया था. 


चीन पर लगाया आरोप
सामने आया है कि जस्टिस डिपार्टमेंट ने रविवार को ही मलेशिया के नागरिकों को गिरफ्तार किया था, जबकि चीनी नागरिक फरार हैं.  रोजेन ने इस मामले में चीन की सरकार की आलोचना भी की है. उन्होंने कहा है- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अलग रास्ता अपनाया है- चीन को साइबर अपराधियों के लिए सुरक्षित बनाने का। ये चीन से बाहर कंप्यूटरों पर हमला करते हैं और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराकर चीन की मदद करते हैं. 


भारत पर भी किया था साइबर हमला
यह भी सामने आया है कि बीते साल 2019 में इन आरोपी हैकर्स ने भारत सरकार की वेबसाइट्स को निशाना बनाया था. इसके साथ ही भारत सरकार के लिए काम करने वाले निजी नेटवर्क और डेटाबेस सर्वर पर भी अटैक किया था.



इसके लिए भारत सरकार के ओपन VPN से कनेक्ट करने के लिए VPS प्रोवाइडर सर्वर का इस्तेमाल किया गया. हैकर्स ने भारतीय कंप्यूटरों पर 'Cobalt Strike' मालवेयर इंस्टॉल कर दिया. 


हैकिंग के बाद स्कैम कर रहे थे
इस मामले में एजेंसी ने 'APT41', 'Barium', 'Winnti', 'Wicked Panda' and 'Wicked Spider' जैसे लेबल की पहचान की है, जिन्हें इस तरह हैंकिंग के लिए इस्तेमाल किया गया था. इनसे सोर्स कोड, सॉफ्टवेयर कोड साइनिंग सर्टिफिकेट, कस्टमर अकाउंट डेटा और बिजनेस इन्फर्मेशन को चुराया गया. इनकी मदद से रैन्समवेयर और क्रिप्टो-जैकिंग स्कीम को फायदा पहुंचाने की कोशिश भी की गई. 


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