नई दिल्ली: कोरोनावायरस को लेकर जर्मनी में एक नया और अपनी तरह का अनोखा एक्सपेरिमेंट किया जाने वाला है. एक तरफ पूरी दुनिया में अब भी कई जगह लॉकडाउन जैसे हालात हैं और लोगों को मजमा लगाने, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने के लिए मना किया जा रहा है वहीं जर्मनी में कोविड-19 पर होने वाली है मजमा इकट्ठा करने वाली एक नई स्टडी. इसके लिए एक संगीत समारोह आयोजित किया जाने वाला है ताकि ये समझा जा सके कि आख़िर ये वायरस फैलता कैसे है. 


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कोरोना से सुरक्षित रखने की कवायद
जर्मनी में आयोजित होने वाली कोरोना काल की इस संगीत की महफिल में करीब 4000 म्यूज़िक फैन्स को आमंत्रित किया जा रहा है. जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इस कॉन्सर्ट के दौरान जमा होने वाले 4000 फैन्स को ट्रैकिंग उपकरणों और फ्लोरोसेंट कीटाणुनाशक की बोतलों से लैस करने की योजना बनाई है ताकि कोविड-19 को बड़े इनडोर संगीत समारोहों में फैलने से कैसे रोका जा सके इस बात को समझा जा सके.
दुनिया भर में फिलहाल सामूहिक आयोजनों पर रोक तो है ही साथ ही किसी को ये भी नहीं पता कि भविष्य के लिए ऐसे आयोजन कैसे सुरक्षित तरह से आयोजित किए जा सकते हैं. 


संगीतमय कोरोना प्रयोग कब, कहां, कैसे होगा?
इसी जवाब की तलाश में पूर्वी जर्मनी में शोधकर्ता 22 अगस्त को लिपिज़िग शहर के एक इंडोर स्टेडियम में आयोजित होने वाले इस संगीतमय "कोरोनावायरस प्रयोग" के लिए स्वयंसेवकों की भर्ती कर रहे हैं.
इस कॉन्सर्ट के लिए 18 से 50 साल के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है. प्रतिभागियों को अपनी गर्दन के इर्द-गिर्द पतली चेन में एक कॉन्टैक्ट ट्रेसर डिवाइस पहनना होगा जो पांच-पांच सेकंड के अंतराल पर एक संकेत संचारित करेगा और हर व्यक्ति की गतिविधियों और बाकी दर्शकों से उनकी दूरी से संबंधित डाटा एकत्र करता रहेगा ताकि बाद में अगर कोरोना फैले तो ट्रांसमिशन पैटर्न समझने में इसकी मदद ली जा सके.



वायरस ट्रांसमिशन की होगी जांच 
इस आयोजन स्थल के अंदर दर्शकों को एक फ्लोरोसेंट हैंड-सैनिटाइज़र के साथ अपने हाथों को कीटाणुरहित करने के लिए भी कहा जाएगा - जो न केवल सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है, बल्कि वैज्ञानिकों को UV लाइट के साथ पूरे आयोजन स्थल को जांचने का मौका देगा ताकि ये देखा जा सके कि वायरस सतहों के माध्यम से कैसे ट्रांसमिट हुआ.
फॉग मशीन के वाष्प एयरोसोल्स के माध्यम से कोरोनोवायरस के संभावित प्रसार को समझने में मदद मिलेगी. इसकी मदद से और कंप्यूटर मॉडल के माध्यम से वैज्ञानिक कोरोनावायरस के प्रसार की पूर्व सूचना देने की कोशिश करेंगे.


लाखों जानें बचाने के लिए करोड़ों का प्रोजेक्ट
रीस्टार्ट -19 (Restart-19) प्रोजेक्ट की लागत करीब € 990,000 यानि 8 करोड़ 60 लाख रूपए से ज़्यादा की बैठेगी. आयोजकों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य 30 सितंबर के बाद बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा किए बिना सांस्कृतिक और खेल के कार्यक्रम कैसे आयोजित किया जा सकते हैं, इसके लिए एक रूपरेखा की पहचान करना है.
हालांकि कुछ जर्मन राज्यों, जैसे सैक्सोनी और ब्रैंडेनबर्ग ने, प्रतिबंधों में कुछ ढील दी है और मझोले आकार के इनडोर संगीत कार्यक्रमों के लिए अनुमति दे दी है. लेकिन बाकी देश भर में कम से कम अगस्त के अंत तक एक हजार से अधिक सहभागियों वाले संगीत के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.