सितंबर तक मिल सकती है Good News! दूसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना वैक्सीन को लेकर दूसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है. Good News ये है कि सितंबर तक वैक्सीन को लेकर खुशखबरी की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं भारत में भी कोरोना वैक्सीन पर काम जारी है...
नई दिल्ली: एक खतरनाक वायरस जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है उस कोरोना के खिलाफ युद्ध जारी है. हर रोज हजारों लोग इस अदृश्य शत्रु की चपेट में आ रहे हैं, इस दुश्मन के कहर से मौत की तादाद भी बढ़ती ही जा रही है. कोरोना वायरस का खात्मा करने के लिए कोशिशों का सिलसिला तेज होता जा रहा है.
कोरोना का अंतिम समय जल्द!
कोरोना को हराने वाला टीका बनाने के लिए पूरी दुनिया में तकरीबन 150 से अधिक प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. दुनिया के अलग-अलग देश जैसे ब्रिटेन, इज़रायल, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इटली, नीदरलैंड्स और कोरोना के जन्मदाता देश चीन में कोरोना का तोड़ निकालने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. कई देशों ने वैक्सीन तैयार करने के लिए शुरुआती चरण में कामयाबी का दावा भी किया है. कोरोना को नेस्तनाबूद करने के लिए भारत में भी कोशिशें जारी हैं.
दूसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल
कोरोना को लेकर दुनियाभर में छाई मायूसी के बीच एक खुशखबरी ब्रिटेन से आई है. दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जो काम चल रहा है उसमें ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो रहे ट्रायल पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
जी हां, ये सच है कि इस वायरस के इलाज की खातिर जो वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है वो दूसरे चरण में पहुंच गया है. वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर शुरू कर दिया गया है. आपको बता दें, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पहले चरण में टीके का ट्रायल जिन लोगों पर किया गया था उसके आधार पर शोधकर्ताओं ने इस ट्रायल को काफी ही बेहतर माना है.
10 हजार से अधिक लोगों पर एक्सपेरिमेंट
आपको बता दें, पहले एक्सपेरिमेंट के अच्छे नतीजे आने के बाद अब तकरीबन 10 हजार से अधिक लोगों पर इस टीका का ट्रायल करने की तैयारी की जा रही है. जानकारी के अनुसार दूसरे चरण में पूरे ब्रिटेन में कुल 10 हजार 260 बच्चों और बुजुर्गों समेत लोगों पर इस टीका का प्रयोग किया जाएगा. इस फेज़ में टीके के बारे में ये जांच भी की जाएगी कि यदि अलग-अलग इम्यून सिस्टम वाले लोगों के साथ ये कैसा नतीजा देता है.
कोरोना की उल्टी गिनती शुरू!
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन विकसित करने की काम में लगी टीम को लीड कर रहे एंड्रयू पोलार्ड ने कहा है कि "क्लिनिकल स्टडी बहुत बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है. हम इस बात की जांच करने जा रहे हैं कि बुजुर्गों में ये वैक्सीन कितनी असरदार होती है ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या ये टीका पूरी आबादी को सुरक्षा मुहैया करा सकता है."
यहां आपका ये भी जानना जरूरी है कि दूसरे चरण के नतीजों के आने के बाद अगला यानी तीसरे चरण में इस बात का अध्ययन किया जाएगा कि ये टीका 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से कितना बचाव करने में सक्षम है.
वहीं जेन्नर इंस्टीट्यूट में वैक्सीनोलॉजी के प्रोफेसर सराह गिलबर्ट ने कहा है कि "हमने 55 साल से ज़्यादा के लोगों में इसको लेकर पहले से ही बहुत ज़्यादा दिलचस्पी देखी, लेकिन वे पहले चरण के अध्ययन की खातिर योग्य नहीं थे, और अब हम ज्यादा एज ग्रुप के लोगों को भी वैक्सीन के आंकलन के लिए शामिल कर सकेंगे."
कामयाबी मिलने पर तुरंत प्रोडक्शन
सबसे खास और अच्छी बात तो ये है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन के लिए पहले से ही बड़ी दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका से इस बात का करार कर लिया है कि यदि शोध कामयाब हुआ तो फौरन बाजार के लिए प्रोडक्शन शुरू करना होगा.
आखिर टीका कब तक बनकर तैयार हो जाएगा, इस मसले पर पोलार्ड ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया कि अभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. हालांकि वैज्ञानिकों उम्मीद है कि सितंबर माह तक इस वैक्सीन से चमत्कार होने की संभावना है. भारत ने भी इस वैक्सीन के ट्रायल के 80 फीसदी सफल होने की उम्मीद जताई है. सेरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने इस साल के आखिर तक वैक्सीन मिलने की उम्मीद जतायी है. हालांकि ये सब कुछ यूके की वैक्सीन ट्रायल पर निर्भर करता है जो अब दूसरे चरण में पहुंच चुका है.
भारत में भी टीका पर काम जारी
भारत में वैक्सीन बनाने के लिए भी कई वैज्ञानिकों और रिसर्च संस्थाएं लगातार कोशिश की जा रही है. भारत में वैक्सीन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक भारत बायोटेक कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने के लिए काफी लंबे समय से कोशिश कर रही है. इस वक्त ये कंपनी थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी ऑफ फिलाडेल्फिया के साथ मिलकर टीका बनाने की कोशिश में जुटी हुई है.
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फिलहाल कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए डॉक्टर तरह-तरह की प्रक्रिया अपना रहे हैं और वो काफी हद तक इसमें सफल भी हो रहे हैं. इस इलाज की प्रक्रिया में लगने वाला समय ज्यादा है, इसलिए कोरोना वायरस की वैक्सीन का जल्द से जल्द बनना बहुत ज़रूरी है लेकिन तब तक इससे बचने का एक ही तरीका है सोशल डिस्टेन्सिंग और सावधानी.
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