नई दिल्ली.  सच भी सब जानते हैं और ओली भी जानते हैं. ऐसे में ओली की मूर्खता का विरोध करना समझदारी नहीं है. उसका विरोध ही उसकी बात का समर्थन है. भारत को चाहिए कि इस बेवकूफी का और आगे भी इस किस्म की दूसरी बेवकूफियों को इस कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल दें. चीन के साथ खड़े भारत विरोधी लोगों को महत्व देना समझदारी नहीं है.  


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दूतावास के बाहर लगाए पोस्टर्स 


जो भी हो, मामला हिन्दू धर्म का है तो प्रतिक्रिया तो होनी ही थी. अच्छा है कि भारत सरकार ने इस मूर्ख व्यक्ति के मूर्खतापूर्ण वक्तव्य को महत्व नहीं दिया किन्तु भारत में राम भक्तों की कमी नहीं है इसलिए इसकी प्रतिक्रिया तो हुई है. और इसका विरोध किया है हिन्दू सेना ने. हिन्दू सेना ने नेपाल दूतावास के बाहर नेपाली प्रधानमंत्री के बयान के विरोध में पोस्टर्स लगा दिए हैं.   


क्या है इन पोस्टरों में 


दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के गेट नंबर 2 पर ओली के विरोध में पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों में कहा गया है कि भारत और नेपाल शताब्दियों से मित्र हैं. हिन्दू सेना के नेपाल दूतावास के बाहर लगाए इन पोस्टरों में केपी ओली की तस्वीर स्पष्ट दिखाई देती है. इन पोस्टरों पर लिखा है कि - ''भारतीय-नेपाली सदियों से भाई-भाई हैं. चीनी हसीना के प्यार में घायल ओली बने भारत के दुश्मन''. और इन शब्दों में छुपा नहीं बल्कि खुला हुआ सच सभी को पता है. 



 


वीएचपी ने भी किया विरोध


अपनी मूर्खता को विस्तार देते हुए खड्गप्रसाद ओली ने भारत पर सांस्कृतिक अतिक्रमण का आरोप भी  लगा दिया है और दावा किया है भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि नेपाल के वाल्मीकि आश्रम के पास है.  विश्व हिंदू परिषद ने भी ओली के बयान का विरोध करते हुए कहा है कि -श्री राम जन्मभूमि के संबंध में धर्म-ग्रंथों, परंपरा, जनश्रुति और इतिहास में एकमत से वर्णन किया गया है कि वर्तमान अयोध्या ही भगवान श्री राम की जन्मभूमि है. इसको लेकर कभी और कहीं भी कोई दूसरा मत कभी व्यक्त नहीं हुआ है. वैसे भी हर साल श्री राम जी की बारात अयोध्या से नेपाल के जनकपुरी में जाती है इसलिए इस संबंध में भ्रम फैलाना किसी भी तरह संभव नहीं है.'


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