नई दिल्ली. पाकिस्तान में सरकारें बदलने के बावजूद आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अप्रैल महीने में इमरान खान को हटाकर शाहबाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री बन गए लेकिन देश में रॉकेट की तरह भागती महंगाई पर कोई रोक नहीं लग पाई. इमरान सरकार के दौरान देश पर बढ़ा बेतहाशा कर्ज अब शाहबाज शरीफ सरकार को उल्टे-सीधे फैसले लेने पर मजबूर कर रहा है. इसी क्रम में बीते सप्ताह शाहबाज सरकार ने एक ऐसा अध्यादेश पास कर दिया जिसकी आलोचना की जा रही है.


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न्यूज़18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल शाहबाज सरकार ने एक ऐसा अध्यादेश पास किया है जिसके तहत देश में कंपनियों के स्टेक को बेचने के लिए कई तरह प्रक्रियाओं की कोई जरूरत नहीं होगी. यानी इन संपत्तियों को बेचने के लिए सरकार को किसी प्रक्रिया का पालन नहीं करना होगा. माना जा रहा है कि यह कदम सरकार ने देश को दिवालिया घोषित होने से बचाने के लिए आनन-फानन में उठाया है. 


विश्व मुद्रा कोष से प्रस्ताविक फंड भी अटका
बीते काफी समय से पाकिस्तानी करेंसी अमेरिकी डॉलर के सामने बुरी हालत में जा रही है. इस बीच विश्व मुद्रा कोष की तरफ से जारी होने वाले 1.17 बिलियन डॉलर यानी लगभग 9400 करोड़ रुपये भी अटक गए हैं. इस वजह से पाकिस्तान और बुरी हालत में पहुंच गया है. IMF ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि पाकिस्तान के 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर आपसी सहमति बनी थी. लेकिन इस डील को अभी IMF के एक्जिक्यूटिव बोर्ड की सहमति नहीं मिली है.


बेहद बुरी होती जा रही है पाकिस्तान की हालत
इस राशि के मिलने में देरी होने के कारण पाकिस्तानी सरकार की हालत खस्ता होती जा रही है. दरअसल जब इमरान खान सरकार में थे तब देश में फॉरेज रिजर्व 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था लेकिन हाल के समय में यह 10 बिलियन डॉलर तक गिर भी गया. देश पर कर्ज 53.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. इसमें 23.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज तो सिर्फ इमरान सरकार के समय में हुआ है. इस कर्ज को कम करने के लिए हाल के हफ्तों में शाहबाज सरकार ने तेल, बिजली और प्राकृतिक गैसों पर सब्सिडी घटाई है. सरकार ने यह निर्णय IMF से हुए एग्रीमेंट के आधार पर लिया है. लेकिन इसका नतीजा यह हुआ है कि शाहबाज शरीफ अब पाकिस्तान में अलोकप्रिय होने लगे हैं. 


सरकार से लोगों में नाराजगी
पाकिस्तान में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को लगने लगा है कि वर्तमान गठबंधन सरकार महंगाई को रोक नहीं पा रही है. इसका नतीजा पंजाब में हुए उपचुनाव में भी देखने को मिला है. इसमें इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को जीत मिली. लेकिन पंजाब के सीएम शाबाज शरीफ के बेटे हमजा शरीफ ही बने हुए हैं. इमरान खान की पार्टी ने धांधली को लेकर सु्प्रीम कोर्ट का रास्ता अख्तियार करने का फैसला किया है.


नया अध्यादेश क्यों आया?
नए अध्यादेश के मुताबिक सरकार ने फैसला किया है कि वो ऑयल और गैस कंपनियों में अपने स्टेक बेचेगी. साथ ही सरकारी स्वामित्व वाले पावर प्लांट्स में भी स्टेक बेचा जाएगा. ये स्टेक यूएई को बेचे जाएंगे जिससे 2 से 2.5 बिलियन डॉलर की राशि मिलेगी. दरअसल यूएई ने बीते मई महीने में पाकिस्तान को कैश डिपोजिट देने से मना कर दिया था क्योंकि पाकिस्तान इससे पहले के लोन अब तक नहीं चुका पाया है. यूएई का कहना था कि पाकिस्तान को अपने देश की कंपनियों को विदेशी निवेश के लिए खोलना चाहिए. 


चीन, सऊदी और यूएई का एक फैसला और बर्बाद हो जाएगा पाक
दिलचस्प ये है कि चीन से बीते महीने मिले 2.3 बिलियन डॉलर के बावजूद पाकिस्तान का फॉरेज रिजर्व लगातार घट रहा है. पाकिस्तान के स्टेट बैंक में दिवालिया घोषित होने के लिए आखिरी सीमा 7.5 बिलियन डॉलर की है. यानी इतना रिजर्व तो होना ही चाहिए. ऐसी स्थिति में अगर चीन, सऊदी या फिर यूएई ने अपने पैसे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से निकाल लें तो किसी भी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.


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