नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर पाकिस्तान का चेहरा दुनिया के सामने बेकाब किया. भारत ने यूएन में जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम उस देश पर और अधिक ध्यान नहीं दे सकते हैं जो पूरी दुनिया में आतंक के चलते खून-खराबे के लाल रंग में डूबा हुआ है. उसके अपने लोगों को ही शर्मिंदगी होती है कि उनकी सरकार उनके वास्तविक हितों को पूरा करने में असफल रही है.


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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 55वें नियमित सत्र में बुधवार को प्रथम सचिव अनुपमा सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने एक बार फिर परिषद के मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सरेआम झूठ प्रचारित करने के लिए किया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.


पाकिस्तान को बोलने का कोई हक नहीं: अनुपमा


उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं. जम्मू-कश्मीर में सामाजिक और आर्थिक विकास व सुशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदम भारत का आंतरिक मामला है. इस पर पाकिस्तान को बोलने का कोई हक नहीं है.


'पाक में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होती है हिंसा'


उन्होंने पाकिस्तान में मानवाधिकारों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक ऐसा देश जिसका मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक है, वो भारत पर कमेंट कर रहा है. पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और उसका जश्न भी मनाता है. पाकिस्तान की लोकतांत्रिक साख दुनिया के लिए उदाहरण है. यह हर किसी के लिए विरोधाभासी है.


उन्होंने कहा कि अगस्त 2023 में पाकिस्तान के जरनवाला शहर में अल्पसंख्यक ईसाइयों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा की गई थी. तब ईसाइयों के 89 घर जला दिए गए थे जबकि 19 चर्चों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 55वें नियमित सत्र 26 फरवरी से 5 अप्रैल तक आयोजित हो रहा है. 


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