मालदीव से भारत को बाहर नहीं निकाल पाए मुइज्जू, इस बात पर बनी सहमति
India Maldives Tension: इंडिया आउट कैंपेन चलाकर मालदीव की सत्ता में आए चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू अपने देश से भारत को आउट नहीं कर पाए हैं और उन्हें एक बार फिर भारत के साथ समझौता करना पड़ा है. दरअसल, शुक्रवार 2 फरवरी को दिल्ली में भारत और मालदीव के कोर ग्रुप की दूसरी बैठक हुई. यह बैठक मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर थी. इस दौरान दोनों देशों के बीच लंबी चर्चा हुई.
नई दिल्लीः India Maldives Tension: इंडिया आउट कैंपेन चलाकर मालदीव की सत्ता में आए चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू अपने देश से भारत को आउट नहीं कर पाए हैं और उन्हें एक बार फिर भारत के साथ समझौता करना पड़ा है. दरअसल, शुक्रवार 2 फरवरी को दिल्ली में भारत और मालदीव के कोर ग्रुप की दूसरी बैठक हुई. यह बैठक मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर थी. इस दौरान दोनों देशों के बीच लंबी चर्चा हुई.
मालदीव में असैनिक समूह तैनात करेगा भारत
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि भारत मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों की जगह असैनिक समूह को तैनात करेगा. मालदीव में तैनात होने वाले असैनिक समूह भी भारतीय सैनिकों के काम को ही आगे बढ़ाएंगे. इस बैठक से आए नतीजे को दोनों पक्षों की जीत के रूप में देखा जा रहा है. एक तरह से देखें, तो मुइज्जू भारतीय सैनिकों को मालदीव से वापस भेजने में कामयाब रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर भारत भी जगह खाली नहीं जा रहा है.
10 मार्च तक एक प्लेटफॉर्म से सैनिकों को हटा लेगा भारत
दिल्ली में हुई इस बैठक के बाद मालदीव के विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों में सहमति बन गई है. भारत अब 10 मार्च तक तीन उड्ड्यन प्लेटफॉर्मों में से एक जगह से अपने सैनिक हटा लेगा. वहीं, दो प्लेटफॉर्मों से भारत अपने सैनिकों को 10 मई तक हटा लेगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो दोनों देशों के बीच कोर ग्रुप की तीसरी बैठक फरवरी के अंतिम सप्ताह में बातचीत के बाद तय होगी.
चीनी असैनिक समूह को तैनात करना चाहते थे मुइज्जू
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मुइज्जू मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाकर चीन के असैनिक समूह को तैनात करना चाहते थे. हालांकि, वे अपने देश में अपने विपक्षी दलों के घोर विरोध से घबराए हैं. रिपोर्ट्स की मानें, तो मुइज्जू सिंगापुर में काम करने वाली एक चीनी कंपनी के असैन्य समूह को भारतीय सेना की जगह तैनात करने की योजना बना चुके थे, लेकिन भारत ने के दबाव की वजह से उन्हें अपना निर्णय वापस लेना पड़ा.
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