नई दिल्ली: भारतीय कंपनियां मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल की खरीदारी को अब बंद करने वाली हैं. भारत अब मलेशिया की जगह इंडोनेशिया से पाम ऑयल के आयात करने की योजना बना रहा है. भारत के इस फैसले से मलेशिया को भारी राजस्व घाटा उठाना पड़ सकता है, क्योंकि भारत मलेशिया के पाम ऑयल का सबसे बड़ा खरीददार देश है. भारत और मलेशिया के बीच कुल 17.2 बिलियन डॉलर का व्यापार है जिसमें से भारत 10.8 बिलियन डॉलर का आयात करता है. इस आयात का एक बड़ा हिस्सा पाम ऑयल के रूप में किया जाता है.


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बढ़ सकता है मलेशिया का राजस्व घाटा
मलेशियन पाम ऑयल एसोसिएशन ने भारत के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत के इस कठोर फैसले के बाद उस पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, विदेशी और आर्थिक जानकारों का ऐसा मानना है कि भारत को आर्थिक रूप से इसका कोई नुकसान नहीं होगा. भारत इंडोनेशिया से उसी दाम में अपनी जरूरतों को पूरा कर सकता है. फिर भी कूटनीतिक स्तर पर भारत और मलेशिया के रिश्ते जरूर प्रभावित हो सकते हैं. मलेशियन पाम ऑयल एसोसिएशन का मानना है कि भारत को इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीदने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है. लेकिन वे भूल गए कि भारत ने आसियान देशों से व्यापार मुक्त संधि पर सहमति दी है.  


कश्मीर पर मलेशियाई पीएम के बयान से बदली सूरत
भारत के राजनायिक संबंध आसियान देशों से हमेशा ही मित्रता वाले रहे हैं जब तक की किसी देश की ओर से कूटनीतिक चाल न खेली गई हो. हाल के दिनों में भारत-मलेशिया संबंध दोनों ही सरकारों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. इस बिगड़ते संबंधों की नींव मलेशिया ने खुद रखी है. दरअसल, कश्मीर के मामले में मलेशिया की दखलअंदाजी के बाद इसकी शुरुआत हुई. कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद मलेशियन प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने आश्चर्यजनक रूप से ये मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया. कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताए जाने के बावजूद मलेशियन प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के कश्मीर पर प्रस्ताव लाए जाने के बाद भी भारत ने कश्मीर के विशेषाधिकार को खत्म कर उसे अपने में मिला लिया. मलेशिया के इस आश्चर्यजनक रवैये के बाद भारत ने कूटनीतिक स्तर पर दबाव डालने के लिहाज से मलेशियन पाम ऑयल पर टैरिफ बढ़ानी शुरू कर दी.


मलेशियाई अर्थव्यवस्था पर इसके असर की हो रही है समीक्षा
मलेशियन प्रधानमंत्री ने इसके बाद भारत की ओर से मलेशियन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए अपनाई जा रही इस कूटनीतिक तरीके पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की जिसके लहजे से ये अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि पीएम महाथिर मोहम्मद को अपने स्टैंड पर पछतावा जरूर हो रहा है. उन्होंने कहा कि वे भारत के पाम ऑयल आयात की खरीददारी रोकने के बाद से मलेशियन अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान की समीक्षा कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मलेशिया भी भारत से कुछ न कुछ आयात कर रहा है, ये वन वे व्यापार रूट नहीं है. हालांकि भारत के एसईए प्रमुख अतुल चतुर्वेदी का कहना है कि मलेशिया से भारत इतना ज्यादा भी आयात नहीं करता कि उसके नियंत्रण से उस पर कोई प्रभाव पड़े.


उठ सकते हैं भारत की प्रतिबद्धता को लेकर सवाल
भारत को मलेशिया के साथ व्यापार युद्ध में पड़ जाने के नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. दरअसल, मलेशिया उसी आसियान संगठन का हिस्सा है जिससे भारत ने 2009-10 के दौरान ही मुक्त व्यापार संधि पर सहमति जताई थी. अब भारत के सामने मुश्किल ये है कि अगर वह सहमति के विरूद्ध जा कर मलेशिया को कू़टनीतिक सबक तो जरूर सिखा देगा पर आसियान के अन्य देशों को भारत  के प्रतिबद्धता पर संदेह होने लगेगा. ऐसे में भारत को यह कोशिश करनी होगी कि मलेशिया को पाठ पढ़ाने के क्रम में उसे कोई राजनायिक नुकसान उठाने से बचना होगा.