नई दिल्ली: विश्व की भांति भारत भी कोरोना के प्रकोप से जूझ रहा है. अंतर मात्र इतना है कि भारत एक विजेता के रूप में उभरा है और विश्व के दूसरे ज्यादातर देश कोरोना के कहर के आगे बुरी तरह परास्त हुए हैं. भारत ने न कोई दिखावा किया न ही कोई बड़े बोल बोले. कर्मयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्रम मोदी के सेनापतित्व में भारत ने बड़ी ही गंभीरता से युद्ध किया है कोरोना से और अब तक तो उसे जीतने नहीं दिया है. कोरोना काल में भारत की वैश्विक छवि का उत्कर्ष एक नीति सूत्र को सार्थक करता है - उद्योगिनः पुरुष सिंह मुपैति लक्ष्मी !!


सारे भारत ने मिल कर लड़ी जंग


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पीएम मोदी को सेनापति बनाकर सारे भारत ने एक हो कर कोरोना से जंग लड़ी है. हैरानी की बात नहीं जितनी मजबूरी की बात है कि देश के हर राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को सहयोग दिया है और अपने राज्य में कोरोना पर यथासम्भव रोकथाम की है. अमेरिका, ब्रिटेन, पाकिस्तान और ब्राजील जैसे देशों में आपसी विरोध भी नज़र आ रहा है जिससे कोरोना की लड़ाई में एकजुटता नहीं दिख रही है.


सबसे बड़ा साथ जनता ने दिया


कोरोना के नियंत्रंण में सबसे बड़ा श्रेय भारत की जनता को जाता है. पीएम मोदी के निर्देशों का अधिकतम पालन करते हुए भारत की जनता ने जिस धैर्य से लॉकडाउन का पालन किया है, वह अभूतपूर्व है. राष्ट्र को एक सूत्र में बाँध दिया है भारत के प्रधानमंत्री ने.


अब आप मेरा भारत महान तो कह सकते हैं किन्तु सौ में निन्यानबे बेईमान नहीं कह सकते. भारत की जनता ने एक राष्ट्रीय चरित्र का परिचय दिया है. भारतीय जनता के इस अनुशासन और राष्ट्रीय कर्तव्य के प्रति निष्ठा की विश्व स्वास्थ्य-संगठन ने भी प्रशंसा की है.


विश्व-रक्षक की भूमिका में भारत


कोरोना की मार से पीड़ित लगभग साठ देशों को भारत की मदद मिल रही है. इन देशों के आग्रह पर भारत इनको हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन  की करोड़ों पिल्स भेज रहा है. भारत का विश्व को त्राण देने वाला यह रूप पहली बार देखा गया है और पहली बार ही दुनिया को ये पता चला है कि औषधि निर्माण के क्षेत्र में भारत सिरमौर है बल्कि संकट के इस अभूतपूर्व अवसर पर भारत विश्व-रक्षक की बड़ी भूमिका में है.


भारतीयों को तत्परता से वापस लाये


दुनिया भर में भारत की यह तत्परता भी चर्चित रही कि जहां पकिस्तान जैसे देशों ने अपने नागरिकों को चीन में तथा दूसरे देशों में मरने को छोड़ दिया, वहीं भारत सरकार ने हजारों प्रवासियों को विदेशों से भारत लौटाने में पूरी तत्परता दिखाई और इतना ही नहीं उसने कई मित्र देशों के नागरिकों को भी निकाल कर लाने की जो भूमिका निभाई है, उसकी सर्वत्र सराहना हुई है.


वैश्विक-नेतृत्व का दायित्व सम्हाला भारत ने


भारत के कर्मयोगी प्रधानमंत्री ने विश्व को एक परिवार की सनातनी दृष्टि से देखा और भारत के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी उन्होंने इस दिशा में यथासम्भव प्रयत्न किये. दक्षेस देशों को कोरोना के विरुद्ध अलर्ट करने की पहल भारतीय प्रधानमंत्री ने की और इतना ही नहीं उन्होंने दक्षेस-कोष में भी एक बड़ी अर्थ राशि का अनुदान दिया. पीएम मोदी निरंतर दक्षेस-राष्ट्रों के नेताओं से संपर्क बनाये हुए हैं. यह सहयोग और अपनेपन की भावना ने भारत के पड़ौसी देशों पर भारत का अच्छा प्रभाव छोड़ा है.


चीन पर भारत की समझदार बढ़त


व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत चीन का विकल्प बन सकता है. विश्व-व्यापार में कोरोना-खलनायक की छवि वाले चीन को जो धक्का लगनेवाला है, वह भारत को अवश्य लाभ प्रदान करेगा.


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चालाक चीन की शातिर चाल को पहले ही भांप कर भारत सरकार ने चीन जैसे देशों के विनियोग पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं ताकि वे भारतीय कंपनियों पर कब्जा न कर सके, यह भारत की विदेश नीति की समझदार जीत है.


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