नई दिल्ली. 1948 में अपनी आजादी की घोषणा के बाद से ही इजरायल लगातार पड़ोसी देशों विशेष रूप से फिलिस्तीन के साथ लड़ता आया है. वर्तमान में उसका दुश्मन हमास है तो कभी फतह या PLO हुआ करता था. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब इजरायल और फिलिस्तीन दोनों देशों के नेताओं ने शांति के लिए अहम कदम उठाए थे. इसी की वजह से साल 1994 में दोनों देशों के नेताओं को शांति के नोबेल पुरस्का से सम्मानित किया गया था. 1948 से लेकर अब तक के कालखंड में यह शायद इकलौता वक्त था जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संबंध काफी सुधर गए थे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ओस्लो संधि से हुई शुरुआत
यह सबकुछ संभव हो सका था 1993 में हुई ओस्लो संधि की वजह से. दरअसल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इसमें अहम भूमिका अदा की थी. तब इजरायली प्रधानमंत्री यित्जैक राबिन और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के बीच समझौता हुआ था. PLO के हेड यासिर अराफात थे जिन्हें पूरी दुनिया में बेहद सम्मान के साथ देखा जाता है. 


पीएलओ ने इजरायल को दी मान्यता
यही वो समझौता था जिसके तहत पहली बार पीएलओ ने इजरायल को मान्यता दी और दूसरी तरफ से इजरायल ने पीएलओ की सरकार को माना. दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों को बातचीत का आधार माना गया और इस पर आगे बातचीत के लिए सहमति बनी थी. यह एक ऐतिहासिक समझौता था क्योंकि इसके पहले थे पीएलओ और इजरायल एक दूसरे के खिलाफ हथियार से लड़ रहे थे.


शांति के लिए बहुत बड़ा कदम माना गया
इस समझौते को मध्य-पूर्व के इलाके में शांति के लिए बहुत बड़ा कदम माना गया. अगले साल नोबेल कमेटी शांति के पुरस्कार के लिए तीन लोगों को चुना. ये लोग थे यासिर अराफात (पीएलओ के हेड), यित्जैक राबिन (इजरायली प्रधानमंत्री), शिमोन पेरेस (पूर्व इजरायली प्रधानमंत्री). शिमोन पेरेस बाद में 2007 से 2014 तक इजरायल के राष्ट्रपति भी रहे.


पुरस्कार मिलते वक्त इजरायली दिग्गज ने की अराफात की तारीफ
पुरस्कार लेते वक्त पेरेस ने राबिन और अराफात की तारीफ की थी. नोबेल कमेटी की वेबसाइट के मुताबिक पेरेस ने राबिन के बारे में कहा- मैं यित्जैक राबिन के साथ यह पुरस्कार लेते हुए फख्र महसूस कर रहा हूं. राबिन के साथ मैंने अपने कई साल इजरायल की सुरक्षा में बिताए हैं. अब राबिन के साथ मिलकर ही मैंने अपने देश और क्षेत्र में शांति के लिए काम किया है. 


पेरेस ने कहा-मैं भरोसा करता हूं कि यासिर अराफात को भी यह पुरस्कार दिया जाना बिल्कुल सही है. उन्होंने संघर्ष का रास्ता छोड़कर वार्ता का रास्ता चुनाव. उन्होंने फिलिस्तीन के लोगों और हमारे लिए शांति के दरवाजे खोले. अब हम लड़ाई रास्ता त्यागकर शांति के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं.  


ये भी पढ़ें- कोयले से भी काला है ये खेल, राहुल ने इस शख्स को बताया महंगी बिजली का जिम्मेदार


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.