नई दिल्ली: 3 जनवरी 2020 को बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ईरान के कुद्स सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने एक बेहद सटीक ऑपरेशन के बाद मार गिराया. यही वो अमेरिका का कदम था जिसके बाद ईरान और अमेरिका में रिश्ते और बिगड़ गए और युद्ध की आहट तक दुनिया को महसूस होने लगी.


अमेरिका Vs ईरान में इजराइल की एंट्री!


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमेरिका ने सुलेमानी को इराक में उतरते ही एयरपोर्ट पर ही हमला कर मार डाला. लेकिन अब अमेरिका के इस ऑपरेशन में उसके साथ एक और देश शामिल था. और वो देश इजरायल है. दुनिया भर में अपने खुफिया मिशन और सुरक्षा तंत्र की मजबूती के लिए मशहूर इजरायल ने सुलेमानी को मारने में अमेरिका की मदद की थी.


अमेरिका से नेतन्याहू ने की थी बात


इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अकेले ऐसे विदेशी नेता थे, जिनको अमेरिका की सुलेमानी को मारने के लिए करने वाली पूरी कार्रवाई के बारे में पहले से जानकारी दी. नेतन्याहू की अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से इस संबंध में बातचीत हुई थी.


अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA को दी थी जानकार


रिपोर्ट्स के मुताबिक सीरिया के दमिश्क में मौजूद मुखबिरों ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को ये जानकारी दी थी कि सुलेमानी किस विमान से बगदाद हवाई अड्डे पहुंच रहे हैं.


सुलेमानी को लेकर जासूसों से मिली जानकारी को इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने अपने स्तर पर जांच कर अमेरिका को पुष्टि की थी. बगदाद हवाई अड्डे के दो सुरक्षा अधिकारियों और चाम एयरलाइंस के दो कर्मचारियों ने भी कासिम सुलेमानी के बारे में अमेरिका को जानकारी दी थी. चाम एयरलाइंस के विमान से ही कासिम सुलेमानी बगदाद पहुंचे थे.


ड्रोन MQ 9 रिपर ने किया था अटैक


अमेरिका ने सुलेमानी को बेहद ही सटीक ऑपरेशन में मार गिराया था. मौत से कुछ मिनट ही पहले ही सुलेमानी बगदाद एयरपोर्ट पर अपने विमान से उतरे थे. विमान से उतरने के बाद सुलेमानी अपने साथियों के साथ कार में बैठकर एयरपोर्ट से बाहर निकले. एयरपोर्ट के गेट पर ही अमेरिकी सेना के ड्रोन MQ 9 रिपर ने कासिम सुलेमानी के काफिले पर एक एक कर के 4 मिसाइल अटैक किए. इस अटैक के बाद सुलेमानी का काफिल खाक हो गया था.


इसे भी पढ़ें: ट्रंप और रुहानी के बीच 'नंबर' वाली धमकी! तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा तेज


यानी अमेरिका और ईरान के बीच की ये लड़ाई में अब तीसरी एंट्री हो चुकी है. अब देखना ये होगा कि इजराइल की इस एंट्री के बाद खाड़ी की ये लड़ाई कौन सा नया मोड़ लेती है.


इसे भी पढ़ें: अमेरिका पर क्यों है ईरान का अपारदर्शी दबाव?