नई दिल्लीः King Charles III's Coronation: ब्रिटेन में आज किंग चार्ल्स तृतीय का राज्याभिषेक होगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और 10 डाउनिंग स्ट्रीट के पहले हिंदू पदाधिकारी शनिवार को वेस्टमिंस्टर एब्बे में होने वाले समारोह में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. इस अवसर पर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर हालिया परंपरा को ध्यान में रखते हुए कुलुस्सियों की बाइबिल पुस्तक से पढ़ेंगे. ब्रिटेन के झंडे को उच्च श्रेणी की ‘रॉयल एयर फोर्स’ (आरएएफ) के जवानों की ओर से एब्बे में ले जाने के दौरान सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी ध्वजवाहकों के एक जुलूस की अगुवाई करेंगे.


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समारोह में शिरकत करने के लिए लंदन पहुंचे उपराष्ट्रपति
किंग चार्ल्स की ताजपोशी को लेकर दुनियाभर की हस्तियों को निमंत्रण मिला है. भारत और भारतीय मूल के लोगों को भी इसके लिए न्योता मिला है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आधिकारिक रूप से भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. वह अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ लंदन पहुंच चुके हैं. इसके अलावा सोनम कपूर भी समारोह में शिरकत करेंगी.


मुंबई के डब्बावाले भी ताजपोशी के दौरान रहेंगे मौजूद
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुंबई के दो डब्बावालों को भी आमंत्रण मिला है. उन्होंने किंग चार्ल्स को तोहफा देने के लिए पुनेड़ी पगड़ी और वारकरी समुदाय का बना हुआ शॉल खरीदा है. किंग चार्ल्स की शादी के समय भी डब्बावालों को आमंत्रण मिला था. 


इन भारतीय मूल के लोगों को भी मिला है आमंत्रण
इसके अलावा पुणे में जन्मे भारतीय मूल के आर्किटेक्ट सौरभ फड़के को भी न्योता मिला है. उन्होंने वह किंग चार्ल्स के चैरिटी की पहलों से जुड़े हैं. वहीं, पिछले साल प्रिंस के ट्रस्ट ग्लोबल अवॉर्ड से सम्मानित गुलफ्शा को भी न्योता मिला है. वह दिल्ली से हैं और एक कंसल्टेंसी फर्म में काम करती हैं. कनाडा के भारतीय मूल के जे पटेल को भी आमंत्रित किया गया है.


'हर धर्म के प्रतिनिधि पहली बार केंद्रीय भूमिका निभाएंगे'
बता दें कि ब्रिटिश पीएम सुनक ने ऐतिहासिक घटना की पूर्व संध्या पर एक बयान में कहा, 'एब्बे में जहां लगभग एक हजार वर्षों से राजाओं की ताजपोशी होती रही है, हर धर्म के प्रतिनिधि पहली बार केंद्रीय भूमिका निभाएंगे.' उन्होंने कहा, 'महाराज चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला का राज्याभिषेक असाधारण राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा. राष्ट्रमंडल और उससे आगे के दोस्तों के साथ, हम अपने महान राजशाही की स्थायी प्रकृति का जश्न मनाएंगे. कोई अन्य देश ऐसा शानदार प्रदर्शन नहीं कर सकता.'


उन्होंने राज्याभिषेक पर जोर देकर कहा, 'जून 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के बाद 70 वर्षों में पहली बार यह केवल एक चमत्कार नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की एक गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति है.'


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