नई दिल्ली.    लद्दाख सीमा पर हाल ही में भारत और चीन की सेना की बीच हिंसक झड़प हुई जिससे दोनों देशों के संबंध अब तक के सबसे बुरे स्तर पर पहुंच गए. भारत ने इसके विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया जताई और इसे पूर्व-नियोजित घटना बताया. इसके बाद आज दोनों देशों के बीच चरम तनाव के बीच पूर्व-नियोजित उच्चस्तरीय बैठक भी हुई, किन्तु जैसी उम्मीद थी, ये बैठक भी बेनतीजा ही रही.   


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भारत में हुई प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री की बैठक 


चीन को लेकर भारत की गंभीरता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 17 जून की रात को साढ़े दस बजे प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के बीच की बैठक समाप्त हुई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 7, लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने पहुंचे थे जहां उन्होंने उनके साथ यह रणनीतिक बैठक सम्पन्न की. 


मेजर जनरल स्तर की बातचीत भी हुई आज 


आज 17 जून को ही देश के बाहर लद्दाख सीमा पर भी गलवान घाटी को लेकर समाधान की दिशा में  दोनों देशों की एक और कोशिश हुई. चीन और भारत के मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों ने आपस में बैठक करके इस मसले का हल तलाशने का प्रयास किया जिसका कोई परिणाम नहीं निकल सका है. इस बैठक में चीनी सेना के तुरंत पीछे हटने या किसी तरह की स्थिति के परिवर्तन की दिशा में कोई फैसला नहीं हो पाया है.


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विदेश मंत्री की हुई चीनी समकक्ष से फ़ोन वार्ता 


इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन में फ़ोन वार्ता भी सम्पन्न हुई. भारतीय विदेश मंत्री ने चीन में अपने समकक्ष वांग यी के साथ फ़ोन पर गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर बातचीत की. इस फ़ोन वार्ता में अहम बात ये रही कि भारतीय विदेश मंत्री ने चीनी समकक्ष को साफ़ साफ़ कह दिया कि ये घटना चीन की तरफ से पूर्वनियोजित करके अंजाम दी गई है. इस अप्रत्याशित घटना का दोनों देशों के संबंधों पर गंभीर परिणाम पड़ेगा.


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