नई दिल्ली. राहुल गांधी ने गलवान घाटी में पंद्रह जून की रात वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने और देश की सेना को अपने शब्दों के माध्यम से पूर्ण समर्थन देने के स्थान पर देश की सेना के सर्वोच्च सेनापति अर्थात देश के रक्षा मंत्री पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल राहुल के सवालों का नहीं बल्कि स्वयं राहुल का है जिनके बारे में तो यहां तक कहा जा रहा है कि उनको तो ये भी पता नहीं होगा कि देश का रक्षामन्त्री कौन है!
राहुल की समझ और सोच का परिचय हैं ये सवाल
राहुल के सवाल उनकी समझ के स्तर को ही नहीं, उनकी सोच को भी दर्शाते हैं. इसके अतिरिक्त जहां सवाल करने के लिए सहज-बुद्धि की आवश्यकता होती है वहीं कई बार जवाब भी सहज-बुद्धि से ही अपनेआप मिल जाते हैं. राहुल को लगता है कि उन्होंने अपने यक्ष प्रश्न पूछ कर देश की सरकार को बदनाम करने में बड़ी भूमिका निभा दी है, किन्तु सच तो ये है कि ये राहुल के यक्ष प्रश्न नहीं, कष्ट प्रश्न हैं. राहुल कष्ट में हैं और अब ऐसी हरकतें करके प्रसन्न हो रहे हैं कि अब अगले चुनाव में जीतकर वे प्रधानमंत्री बन जाएंगे. राहुल को पता नहीं कि कांग्रेस की बची-खुची साख पर वे रोज बट्टा लगाते हैं..
ये हैं 'मुश्किल' सवालों के आसान जवाब
राहुल के सवालों के जवाब आसान भाषा में यहां दिए जा रहे हैं ताकि राहुल गांधी समझ सकें -
सवाल नंबर 1. आपने अपने ट्वीट में चीन का नाम क्यों नहीं लिया और इस तरह भारतीय सेना का अपमान किया?
सहज-बुद्धि उत्तर- केंद्रीय सरकार में मंत्री हो कर जब भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई वक्तव्य देना होता है तो भाषा का एक स्तर होता है और एक ढंग भी. बाहें चढ़ा कर स्टेज पर खड़े हो कर चीखते हुए गाली देने की राहुल गांधी की शैली वाली संस्कृति का पालन कोई भी केंद्रीय मंत्री नहीं कर सकता, और ऐसा शिष्ट राजनीतिक दलों में होता भी नहीं है. राजनाथ सिंह तो वैसे भी देश के सबसे अहम मंत्रालयों में से एक को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं.
सवाल नंबर 2. आप दो दिनों के बाद सांत्वना क्यों व्यक्त कर रहे हैं?
सहज-बुद्धि उत्तर - सांत्वना औपचारिकता नहीं होती. सांत्वना के लिए जितनी शब्दों की आवश्यकता होती है उतनी ही उस भाव की भी जिसमें बलिदान के प्रति कृतज्ञता और देश के लिये -दोनो भाव होने चाहिये. जिन लोगों को देश के इस आपात-काल के दौर में देश के साथ खड़े होने की बजाय देश की सरकार के रास्ते पर कांटे बिछाना रास आता है, वे शब्दों से सांत्वना तो व्यक्त कर सकते हैं, किन्तु उनके मन में सांत्वना का भाव नहीं होता, ये बात सहज ही समझी जा सकती है. सांत्वना के लिए देश के सामने आ कर कुछ कहने के पूर्व व्यक्तिगत स्तर पर भी हार्दिक सांत्वना जो कि भावपूर्ण भी हो, दी जा सकती है.
सवाल नंबर 3. आप रैली को क्यों संबोधित कर रहे थे जब कि दूसरी तरफ देश के जवान मारे जा रहे थे?
सहज-बुद्धि उत्तर - यह तो आरोप ही गलत है. राहुल गांधी को तथ्यों का ढंग से अध्ययन करके फिर ऐसा ही कोई नया सवाल बनाने की कोशिश करना चाहिए. ये घटना पंद्रह जून की रात को साढ़े ग्यारह बजे से तीन बजे के बीच हुई और उस समय और उसके बाद देश में किसी रैली को रक्षामंत्री ने सम्बोधित नहीं किया.
सवाल नंबर 4. आप छिपे क्यों हैं और मीडिया के माध्यम से भारतीय सेना को इस घटना के लिए उत्तरदायी ठहरा रहे हैं?
सहज-बुद्धि उत्तर - देखने के लिए आंखें भी चाहिए और सहज-बुद्धि भी. जब शारीरिक रूप से उपस्थिति दृष्टिगत नहीं होती तो व्यस्ततागत उपस्थिति को सहज-बुद्धि की आँखों से भी देखा जा सकता है और समझा जा सकता है. देश का रक्षामंत्री दिन और रात क्या कर रहा है और कहां व्यस्त है, किन अहम बैठकों में शामिल हो रहा है, कौन सी रणनीतियां बना रहा है - ये आमजनों को बताये जाने का न विधान है न ही कोई कारण.
सवाल नंबर 5. मीडिया के माध्यम से सरकार के बजाये सेना को जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है ?
सहज-बुद्धि उत्तर - देश का मीडिया बिकाऊ नहीं है, देश के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हुआ है. देश का मीडिया सरकार के पथ पर कांटे नहीं बिछा रहा है बल्कि देश का साथ दे रहा है कोरोना काल में और गलवान घाटी में भी. इसलिए राहुल गांधी को अपने इस प्रश्न को भी ठीक करना चाहिए और आइंदा इस तरह के प्रश्न करने से पहले अपनी पार्टी के चार लोगों से उन पर चर्चा कर लेनी चाहिए.