बेटा बना ट्रांसजेंडर, अफगानी मूल के बड़े लेखक बोले- मेरे लिए गर्व की बात
खालिद हुसैनी के इस ट्वीट की सोशल मीडिया पर तारीफ की जा रही है. जहां एक तरफ दुनिया में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ बेहतर व्यवहार न करने के कई प्रमाण मिलते हैं वहीं खालिद ने अपने बेटे के फैसले को सही ठहराया है.
वाशिंगटन. अफगानिस्तान मूल के बड़े अमेरिकी लेखक खालिद हुसैनी ने ट्विटर पर बताया है कि उनके बेटे हारिस ने अपना जेंडर चेंज करवाया है. अपने बेटे को 'बेटी' कहकर संबोधित करते हुए खालिद ने लिखा है कि यह उनके लिए गर्व की बात है. खालिद ने ट्वीट किया है- कल मेरी बेटी हारिस एक ट्रांसजेंडर के रूप में सामने आई. मुझे इससे ज्यादा गर्व उस पर पहले कभी नहीं हुआ. उसने हमारे परिवार को साहस और सच्चाई के बारे में बहुत कुछ सिखाया है. मैं जानता हूं कि यह प्रक्रिया उसके लिए बेहद तकलीफदायक है. वह ट्रांस लोगों के खिलाफ होने वाली क्रूरता के प्रति संवेदनशील है लेकिन वह बेहद मजबूत और निर्भीक है.
खालिद हुसैनी के इस ट्वीट की सोशल मीडिया पर तारीफ की जा रही है. जहां एक तरफ दुनिया में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ बेहतर व्यवहार न करने के कई प्रमाण मिलते हैं वहीं खालिद ने अपने बेटे के फैसले को सही ठहराया है. बता दें कि अफगानी मूल के खालिद दुनिया के बड़े लेखकों में शुमार किए जाते हैं. साल 2003 में आई उनकी पहली किताब 'द काइट रनर' ( The Kite Runner) दुनियाभर में चर्चित हुई थी.
दुनियाभर में चर्चित हुई थी पहली किताब
लेखक बनने से पहले खालिद एक डॉक्टर थे. उनके पिता डिप्लोमैट थे. खालिद इस वक्त संयुक्त राष्ट्र के गुडविल एंबेस्डर भी हैं. डॉक्टर के पेशे को मजबूरी बताते हुए खालिद हुसैनी ने इसे एक 'अरेंज मैरिज' करार दिया था. लेकिन जब उनकी किताब द काइट रनर आई तो पाठकों ने इसे हाथोंहाथ लिया. यह किताब 101 हफ्ते तक द न्यू यॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलर लिस्ट में शामिल थी. तीन बार यह नंबर एक पर रही थी.
2007 में आई थी दूसरी किताब, 103 हफ्ते रही बेस्ट सेलर
इस किताब की सफलता के बाद खालिद फुल टाइम लेखक बन गए और साल 2007 में उनकी दूसरी किताब आई 'ए थाउंज़ैंड स्प्लैंडिड सन्स' ( A Thousand Splendid Suns) तो यह 103 हफ्ते तक बेस्ट सेलर लिस्ट में रही.
शरणार्थी अधिकारों के लिए काम करते हैं खालिद हुसैनी
लेखक होने के अलावा हुसैनी शरणार्थियों के अधिकारों के लिए भी काम करते हैं. संयुक्त राष्ट्र हाई किश्नर फॉर रिफ्यजीस के साथ मिलकर वो अफगान शरणार्थियों के लिए खालिद हुसैनी फाउंडेशन भी चलाते हैं.
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