नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका लगा है. पार्टी ने पीएम ओली को बर्खास्त कर दिया है. स्प्लिन्टर समूह के प्रवक्ता, नारायण काजी श्रेष्ठ ने ANI की पुष्टि करते हुए कहा, "उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है."


पार्टी विभाजन की धमकी दे चुके हैं ओली


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नेपाल के कार्यकारी PM नवंबर, 2020 में पार्टी से इस्तीफे की धमकी दे चुके हैं. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ के अनुसार, ओली को पार्टी की बैठक में आने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन ओली ने पार्टी मीटिंग में हिस्सा लेने से इनकार करते हुए पार्टी के विभाजन की धमकी दे डाली थी.



ओली की पार्टी यानी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का एक बड़ा गुट उनके विरोध में है. उनकी पार्टी के नेता लंबे समय से सीधे तौर पर कह रहे हैं कि केपी ओली को हर हाल में पीएम पद से इस्तीफा देना होगा, क्योंकि वो सरकार नहीं चला पा रहे हैं. वो पूरी तरह से नाकाम साबित हो चुके हैं और अपनी नाकामी छुपाने के लिए भारत विरोधी बातें कर रहे हैं. जिन नेताओं ने ओली का जमकर विरोध किया, उसमें नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री भी हैं, जिनमें पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनाल का नाम शामिल हैं.


इनमें पुष्प कमल दहल, जो प्रचंड के नाम से मशहूर हैं, वो नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष भी हैं. पिछले वर्ष प्रचंड और ओली के बीच का विवाद काफी बढ़ गया था. उस  वक्त पार्टी के नेताओं का सामना करने से केपी ओली बच रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि स्थाई समिति के 45 में से 30 सदस्य उनके खिलाफ हैं. पिछले वर्ष जुलाई के महीने में उनसे मांग की गई थी कि केपी ओली या तो पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ें या प्रधानमंत्री पद छोड़ें, लेकिन उसके बाद ओली विरोधी गुट हर हाल में प्रधानमंत्री पद से ओली को हटाना चाहता था.


क्या है प्रचंड और ओली का विवाद


केपी शर्मा ओली और प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टियों का एक साथ आ जाना एक बड़ी वजह है. 2017 में दोनों की पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, उस चुनाव में ओली की पार्टी को 80 जबकि प्रचंड की पार्टी को 36 सीटें मिली थी. इन दोनों पार्टियों ने 165 में से 116 सीटों पर जीत दर्ज करके सरकार बनाई थी, लेकिन इस दौरान ओली और प्रचंड ने एक और बड़ा फैसला लिया. दोनों ने अपनी-अपनी पार्टियों का विलय करके नई पार्टी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाई.


इस गठबंधन में ये तय हुआ था कि सरकार फिफ्टी-फिफ्टी के फॉर्मूले पर चलेगी, यानि दोनों ने तय किया कि 5 साल के कार्यकाल में ढाई साल केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री रहेंगे और अगले ढाई साल प्रचंड पीएम बनेंगे. पहले ढाई साल सब ठीक चला लेकिन जब प्रचंड की की बारी आई तो विवाद शुरू हो गया. नेपाल में इस समय हो रही राजनैतिक उठापटक का मुख्य कारण भी यही है.


केपी शर्मा ओली ने पिछले वर्ष में भारत विरोधी कार्ड खेला था. उदाहरण के तौर पर, उन्होंने नेपाल का नया नक्शा पास करवाया, इसमें भारत के तीन इलाकों को शामिल कर लिया. फिर वो ये कहने लगे कि भारत, उनकी सरकार गिराने में लगा है. ओली ने ये सब इसलिए किया कि वो अपनी नाकामियों को छुपा सकें और पार्टी में विरोधी गुट की आवाज बंद कर सकें, लेकिन ओली के ये हथकंडे Fail हो गए. अब ओली से उनकी पार्टी के नेता इतने खफा हो चुके हैं कि उन्हें पार्टी से भी बर्खास्त कर दिया गया.


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