नई दिल्ली: पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने दावा कर दिया कि विदेशी शक्तियां चाहती थी कि पाकिस्तान को ऋण ना मिले. उनका मकसद इस्लामाबाद को श्रीलंका की तरह डिफॉल्ट करना था. इसके बाद वो बातचीत करना चाह रही थीं.


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पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार का बड़ा आरोप
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट की स्थायी वित्त समिति के समक्ष गवाही देते हुए उन्होंने एक बार फिर जोर देकर कहा कि पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के साथ या उसके बिना अपने दायित्वों को पूरा करेगा. उन्होंने कहा कि आईएमएफ द्वारा नौवीं समीक्षा के पीछे अनावश्यक देरी के लिए कोई कारण नहीं बताया गया है, जो नवंबर 2022 से लंबित है. आईएमएफ मदद करे या नहीं, पाकिस्तान डिफॉल्ट नहीं होगा.


द न्यूज के मुताबिक डार ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और आईएमएफ की हर मांग को स्वीकार नहीं कर सकता. एक संप्रभु देश के तौर पर इस्लामाबाद को कुछ कर रियायतें देने का अधिकार होना चाहिए. आईएमएफ चाहता है कि हम किसी भी क्षेत्र में कर रियायतें ना दें.


'पाकिस्तान बिल्कुल भी दूसरा श्रीलंका नहीं बनेगा'
पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने की अफवाहों के बीच मंत्री ने दावा कर दिया कि भू-राजनीति (जियो पॉलिटिक्स) का उद्देश्य पाकिस्तान को डिफॉल्ट करने के लिए मजबूर करना था. विदेशी शत्रुतापूर्ण तत्व पाकिस्तान को एक और श्रीलंका में बदलना चाहते हैं और फिर आईएमएफ, इस्लामाबाद के साथ बातचीत करेगा. द न्यूज के अनुसार, डार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान बिल्कुल भी दूसरा श्रीलंका नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि पाकिस्तान के साथ राजनीति की जा रही है. इसलिए, उन्होंने डिपॉजिट रोल-ओवर किया और वाणिज्यिक ऋणों को फिर से फाइनांस किया. इससे पहले, वो आगे बढ़ने में भी हिचकिचा रहे थे.


उन्होंने दावा किया कि, आईएमएफ हो या नहीं, मुश्किलें हैं, लेकिन हम संभाल लेंगे. आईएमएफ कार्यक्रम के पुनरुद्धार में देरी कर रहा है और समय बर्बाद कर रहा है. आईएमएफ की 9वीं समीक्षा में देरी के कोई वैध कारण नहीं हैं और फंड स्टाफ का दृष्टिकोण गैर-पेशेवर है. उन्होंने बताया कि मैंने लंबित 9वीं समीक्षा को पूरा किए बिना आईएमएफ के साथ बजटीय विवरण साझा करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था. द न्यूज के हवाले से बताया गया है कि जब प्रधानमंत्री ने आईएमएफ के एमडी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद उन्हें निर्देश दिया, तो उन्हें बजटीय रूपरेखा साझा करनी पड़ी.


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