नई दिल्ली. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने पहली महिला मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है. वह पाकिस्तानी पंजाब में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की सरकार की मुखिया होंगी. यह ऐसा क्षेत्र माना जाता है कि जिसे शरीफ परिवार के गढ़ के रूप में पहचान मिली हुई है. 50 वर्षीय मरियम नवाज ने राजनीति में कदम करीब 12 साल पहले 2012 में रखा था. उससे पहले वह सामाजिक कामों से जुड़ी हुई थीं और राजनीति से उनका कोई ज्यादा वास्ता नहीं था. हां, परिवार के कई सदस्य राजनीति में जरूर सक्रिय थे. 


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2013 में बनी थीं चुनाव प्रचार की इंचार्ज
2013 में पाकिस्तान के आम चुनाव में मरियम को चुनाव प्रचार का इंचार्ज बनाया गया था. हालांकि उन्होंने पहली राजनीतिक जंग इस बार हुए पाकिस्तान में लड़ी है. वह देश की संसद और पाकिस्तानी पंजाब की प्रांतीय असेंबली के चुनाव में खड़ी हुई थीं. मरियम को दोनों ही जगह जीत मिली लेकिन उन्होंने शपथ पंजाब की प्रांतीय असंबेली के सदस्य के रूप में ली है.  नवाज शरीफ के देश से मिले निर्वासन के दौरान मरियम ने पार्टी में लोकप्रिय चेहरे के रूप में कमान संभाली. देश में पार्टी को मजबूती से बनाए रखने में भी उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी निभाई.    


बार-बार विवादों में फंसी मरियम की पढ़ाई
महज 12 साल पहले राजनीति का हिस्सा बनने वालीं मरियम नवाज की राजनीतिक कहानी से इतर शिक्षा-दीक्षा की कहानी बेहद दिलचस्प है. उनकी पढ़ाई कई बार मुश्किलों में फंसी है. कभी उनकी डिग्री पर सवाल उठे तो कोर्ट तक दखलंदाजी करनी पड़ी. कभी मरियम को एडमिशन देने से मना करने पर कॉलेज के प्रिसंपल को सस्पेंड किया गया तो कॉलेज के लड़कों और स्टाफ ने नवाज शरीफ के खिलाफ प्रदर्शन कर दिया था.


नाराज पिता CM नवाज ने प्रिंसिपल को सस्पेंड किया 
मरियम ने कक्षा दस तक की पढ़ाई कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी, लाहौर से की है. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए उन्होंने लाहौर कॉलेज ऑफ वुमन में एडमिशन लिया था. दिलचस्प कहानी शुरू होती है लाहौर के किनैर्ड कॉलेज से. दरअसल इस कॉलेज ने मरियम नवाज को अंडपरफॉर्मर या 'नाकाबिल' एडमिशन देने से इंकार कर दिया था. लेकिन मरियम अपने पिता की प्यारी बेटी थीं और नवाज शरीफ उस वक्त पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री. 'नाराज पिता' के मामले में दखल देते हुए आव न देखा ताव और सीधा प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया. और फिर जो हुआ उसकी उम्मीद न नवाज को थी न ही मरियम को.


स्टूडेंट्स के सामने झुके नवाज
प्रिंसिपल के निलंबन को लेकर कॉलेज के स्टाफ और स्टूडेंट्स भड़क गए और जबरदस्त प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इस विरोध प्रदर्शन की वजह से नवाज शरीफ को झुकना पड़ा और प्रिंसिपल का निलंबन वापस लेना पड़ा. 


लंदन में छोड़नी पड़ी पढ़ाई
मरियम की पढ़ाई में 'झोल' और अड़चनों की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद मरियम ने डॉक्टर बनने के लिए जरूरी शिक्षा हासिल करने की सोची. उन्होंने 1980 के दशक में लंदन के प्रतिष्ठित किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया. लेकिन फिर फर्जी दाखिले का मामला सामने आया और मरियम को बिना अपनी डिग्री पूरी किए ही कॉलेज छोड़ना पड़ा. यह दूसरी बार था जब मरियम की पढ़ाई विवादों में आई थी. लेकिन ये मरियम की शिक्षा और विवादों के रिश्ते का अंत नहीं था. 


जब लाहौर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
मरियम ने अपना ग्रेजुएशन बाद में पंजाब विश्वविद्यालय से पूरा किया. साल 2012 में उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री हासिल की. यहां तक तो सब ठीक था लेकिन अब उनकी पढ़ाई एक बार फिर विवादों में फंसने वाली थी. 2012 में वो 9/11 की घटना के बाद पाकिस्तान में बढ़े कट्टरपंथ विषय पर रिसर्च करने लगी थीं. 2014 में मरियम की अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री और राजनीति विज्ञान के विषय पर पीएचडी पर लाहौर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए थे. दरअसल यह बात साफ नहीं हो पाई थी कि मरियम की पीएचडी लिखी गई है या फिर यह मानद है. 2018 में पाकिस्तान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में मरियम नवाज ने अपनी डिग्री केवल अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री को बताया था. इसमें पीएचडी का जिक्र नहीं किया था. 


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