नई दिल्ली. जो अमानवीय कृत्य चीन अपने देश में कर रहा है, बिलकुल वही पाकिस्तान में हो रहा है. बलूचिस्तान में बलूच संस्कृति की जड़ें काटी जा रही हैं और पाकिस्तान की पूरी कोशिश है कि बलूचियों की अपनी कोई पहचान ही न बचे, सिवाए इसके कि वे दुनिया में आतंकी कहलाएं. इसलिए बलूचिस्तान में इस नापाक इमरानी मुल्क ने आतंक की फैक्ट्री खोल रखी है.


चीन की तरह बनाये डिटेंशन कैम्प


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पाकिस्तान और चीन की जात मिलती-जुलती है. इसका प्रमाण खुद पाकिस्तान दुनिया को दे रहा है. बलूचिस्तान में इमरानी सरकार ने चीन की तरह डिटेंशन कैंप तैयार किये हैं. पाकिस्तान आर्मी इन कैम्पों में आत्मसमर्पण करने वाले बलूच उग्रवादियों को रखती है और वहां जमात ए इस्लामी जैसे कट्टर जेहादी आतंकी इन बलूचियों का ब्रेनवॉश करते हैं.
 
साजिश है पहचान खत्म करने की 


नापाक पाकिस्तान अपने नए बाप चीन से बहुत कुछ सीख रहा है. बलूचिस्तान में बलूच संस्कृति को खत्म करने और बलूचियों की पहचान मिटाने की पाकिस्तानी साजिश का बीज चीन से आया है. इसलिए चीन की देखादेखी बलूचिस्तान में बनाये गए डिटेंशन कैम्पों में बलूचियों को कैद करके उनका पाकिस्तानी आतंकियों के माध्यम से ब्रेनवॉश किया जाता है और इस तरह उनको 'धार्मिक' देशभक्त के रूप में तैयार किया जा रहा है. यही काम चीन शिनजियांग प्रदेश में उइगर मुसलमानों के साथ कर रहा है. 


भ्रष्टाचारी बाजवा की थी पहल 


दो साल पहले पाकिस्तान आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) असीम सलीम बाजवा ने इस आतंकी साजिश की नींव रखी थी. 2018 में उसने बलूचियों का विवादास्पद पुनर्वास कार्यक्रम प्रारम्भ किया था जिसका मिशन बलूच उग्रवादियों की जातीय पहचान समाप्त करना था. इसका कारण ये था कि ये बलूची चीन के सीपीईसी प्रोजक्ट के खिलाफ हथियारबंद हो कर बागी हो गए थे. इस काम के बदले में बाजवा को साठ अरब डॉलर के इस प्रोजेक्ट का पाकिस्तानी चीफ भी बना दिया गया था.


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