कराची. पाकिस्तान में एक बार फिर उग्रवाद चरम पर दिखाई पड़ रहा है. 13 सितंबर को पीएम ऑफिस से महज 3 किलोमीटर की दूर लाल मस्जिद को 200 लोगों ने घेर लिया. इसमें वयस्क और बच्चे शामिल थे जिनके हाथों में बंदूक और मशीन गन थे. लाल मस्जिद के पूर्व खतीब (मौलवी) मौलाना अब्दुल अजीज की लीडरशिप में यह घेराव हुआ. दरअसल खैबर पख्तुनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान और पंजाब में तहरीक-ए लब्बाक-पाकिस्तान, की वापसी के बाद लाल मस्जिद में अब्दुल अजीज की वापसी हुई है. यह पाकिस्तान में एक बार फिर चरमपंथ के तेजी से बढ़ने का संकेत है. 


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मस्जिद को घेरने की वजह क्या? 


लाल मस्जिद के पूर्व खतीब की मांग है कि पूरे पाकिस्तान में इस्लामिक लॉ को लागू किया जाए. न्यूज़18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोजहन इलाके से 200 लोगों के साथ अब्दुल अजीज 13 सितंबर को सुबह 6 बजे लाल मस्जिद पहुंचा था. इनके पास बंदूकें, मशीन गन  और भी कई तरह के हथियार थे. यह सभी लोग मस्जिद में घुस गए और उसे अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए मस्जिद की घेराबंदी करने के साथ ही उसके चारों तरफ कंटीले तार लगा दिए. आबपाड़ा पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर ने बताया कि पुलिस ने इन्हें अरेस्ट करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही, क्योंकि वे सभी आधुनिक हथियारों से लैस थे. 


पुलिस  के मुताबिक उस ग्रुप के कुछ लोगों से जब बातचीत की कोशिश की तो पता चला कि वे लोग मस्जिद पर कब्जा करने आए हैं. एक पुलिस अधिकारी ने अब्दुल अजीज से बात की तो उसने कहा-'हम यहां लाल मस्जिद को आजाद कराने और उस पर अपना अधिकार जताने आए हैं.' पुलिस अधिकारियों ने उसे बड़ी मशक्कत के बाद इस बात के लिए राजी किया कि वह इस जगह को छोड़ दे और पुलिस के आला अधिकारियों और प्रशासन के साथ मिलकर उनके सामने अपनी मांग रखें. उसकी बात सुनी जाएगी. 


कौन है अब्दुल अजीज
अब्दुल अजीज 2007 तक लाल मस्जिद में खतीब था. उसी दौरान लाल मस्जिद को आतंकवादियों ने कब्जे में ले लिया. मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान उसने सेना की मदद करने की जगह मस्जिद पर कब्जा करने वालों का साथ दिया था. उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. कुछ ही समय के बाद उसे रिहा तो कर दिया गया लेकिन लाल मस्जिद में खतीब की जगह दोबारा नियुक्त नहीं किया गया. इस बात से खफा अब्दुल अजीज अब दोबारा लाल मस्जिद पर कब्जा करने लौटा है. वह पहले भी पूरे पाकिस्तान में इस्लामिक लॉ लागू करने का पक्षधर था.

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