Pakistan: शहबाज शरीफ के मंत्रिमंडल में किस-किस को मिलेगी जगह? बिलावल भुट्टो को मिल सकता है ये बड़ा पद
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आज अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के नामों का ऐलान कर सकते हैं. इमरान खान को पीएम पद से आउट करने में एकजुट दिखा विपक्ष कैबिनेट को लेकर क्या रणनीति बनाता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो को विदेश मंत्री बनाया जा सकता है.
नई दिल्ली: पाकिस्तान में सत्ता से इमरान खान की विदाई में विपक्षी पार्टियों ने दमखम दिखाया. इमरान खान बार-बार विपक्ष को कमज़ोर करने की कोशिश करते रहे, लेकिन विपक्षी गठबंधन में दरार नहीं डाल पाए. इमरान को पीएम पद से आउट करने के बाद अब विपक्षी गठबंधन पर देश को चलाने की जिम्मेदारी है. शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उनकी कैबिनेट की शक्ल क्या होगी?
शहबाज कैबिनेट में सहयोगियों को कितनी जगह?
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में शामिल 12 पार्टियों को उनके सांसदों की संख्या के हिसाब से कैबिनेट में जगह मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी देश के नए विदेश मंत्री हो सकते हैं.
इसके अलावा शाजिया मारी को भी कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की संभावना है. राणा सनाउल्लाह को पाकिस्तान का गृह मंत्री और मरियम औरंगजेब को पाकिस्तान का अगला सूचना मंत्री बनाया जा सकता है. इनके अलावा पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सदस्य ख्वाजा आसिफ, खुर्रम दस्तगीर, साद रफीक, मुर्तजा जावेद और शाइस्ता परवेज मलिक को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है.
निर्दलीय सांसद भी बन सकते हैं मंत्री
असलम भूटानी और मोहसिन डावर जैसी मशहूर हस्तियों को भी शहबाज़ सरकार में मिनिस्टर बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष का साथ देने वाले कई निर्दलीय सांसद भी खुद को मंत्री बनाए जाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान विपक्ष की सरकार पर निशाना साध रहे हैं. लगातार फौज के इशारे पर चलने वाले इमरान अब लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं. इमरान कह रहे हैं कि न तो सेना और न ही दूसरे देश पाकिस्तान में लोकतंत्र की रक्षा कर सकते हैं.
इमरान खान को प्रधानमंत्री कम और पाकिस्तानी सेना का कठपुतली ज्यादा बताया गया. उन्हें इलेक्टेड नहीं बल्कि सेलेक्टेड पीएम का तमगा भी मिला. ऐसे में कुर्सी छिन जाने के बाद वो लगातार लोकतंत्र का राग आलाप रहे हैं. हालांकि इमरान को आवाम की याद जब तक आई, देर हो चुकी थी. निगाहें अब नई सरकार पर टिकी हैं कि वो फौज की दखलंदाजी से खुद को कितना दूर रख पाती है. वैसे पाकिस्तान में ये मुमकिन नहीं दिखता.
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