Britain Riots: ब्रिटेन में अप्रवासियों के खिलाफ भड़की हिंसा, धूं-धूंकर क्यों जल रहे शहर?
ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. बता दें कि यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर बच्चों की हत्या करने वाले एक आरोपी के बारे में झूठी सूचना फैलाई जाने के बाद बढ़ी है. यह हिंसा ब्रिटेन के कई शहरों में आग की तरह फैल गई है.
नई दिल्ली: ब्रिटेन में बड़े स्तर पर हिंसक प्रदर्शन हो रहा है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में ये हिंसा और भी बढ़ सकती है. दरअसल बीते दिनों नॉर्थ-वेस्ट यूके में 3 बच्चियों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद से ही वहां इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहा है. इस प्रदर्शन में पुलिस अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प भी देखी गई है.
झूठी सूचना से फैली हिंसा
ब्रिटेन में लीवरपूल के एक शहर साउथपोर्ट में छोटे बच्चों के लिए टेलर स्विफ्ट थीम वाला एक कार्यक्रम रखा गया था. इस डांश शो में 6-9 साल की बच्चियों पर जानलेवा हमला किया गया. हमले में 3 बच्चियों की मौत हो गई. घटना के बाद से ही उत्तर-पश्चिमी ब्रिटेन में काफी तनाव देखने को मिल रहा है. 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर हत्या के आरोपी के बारे में झूठी सूचना फैलाई गई, जिसके चलते ब्रिटेन के कई शहरों में अराजकता फैल गई. ये हिंसा मैनचेस्टर, सुंदरलैंड, हल, बेलफास्ट, लिवरपुल जैसी जगहों पर फैली है.
अप्रवासियों के खिलाफ भड़की हिंसा
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक लिवरपूल में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों पर बोतलें, फ्लेयर्स और ईंटें फेकीं, जिसके चलते कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए. सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलाई गई कि बच्चियों पर हमला करने वाला व्यक्ति एक अप्रवासी मुस्लिम था, जो अवैध रूप से ब्रिटेन आया था. इसके बाद से ही ब्रिटेन में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों के खिलाफ विरोध जताया जा रहा है.
यूरोप में बढ़ रहे अप्रवासी
हिंसा को लेकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्रमर ने बीते शनिवार 3 जुलाई 2024 को अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की. पीएम ने कहा,' हमारी सड़कों पर चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को पूरा समर्थन है.' सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें प्रदशर्नकारी अप्रवासियों के खिलाफ 'नावों को रोको' जैसे नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि अफ्रीका और खाड़ी देश के कई अप्रवासी समुद्र के रास्ते नावों में बैठकर यूरोप आते हैं. पिछले कुछ सालों में ये संख्या काफी बढ़ रही है.
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